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Showing posts from 2018

-ब्रायन ट्रेसी के मोटिवेशनल कोट्स

ब्रायन ट्रेसी का जन्म 5 जनवरी 1944 एक कनाडाई-अमरीकन आत्म-विस्वास और प्रेरक सार्वजानिक वक्ता और लेखक है वह सत्तर से अधिक पुष्तकों के लेखक हैं ,जिनका दर्जनों भाषाओँ में अनुवाद किया गया है। उनकी लोकप्रिय पुस्तकें ,अर्न व्हाट यू आर रियली ,इट दैट फ्रॉग! और द साइकोलॉजी ऑफ़ अचीवमेंट है आइये इनके मोटिवेशनल विचारों को जानते हैं।-ब्रायन ट्रेसी के  मोटिवेशनल कोट्स 1 जिंदगी में कॉम्बिनेशन लॉक जैसी जैसी होती है ,बस इसमें अंक ज्यादा होते हैं। अगर आप सही क्रम में सही नंबर घुमाएंगे तो ताला खुल जायेगा। ब्रायन ट्रेसी मैंने पाया है की भाग्य की भविष्यवाणी की जा सकती है। यदि आप अधिक भाग्य चाहते हैं ,तो ज्यादा जोखिम लें। ज्यादा सक्रीय बनें। ज्यादा बार नजर में आएं। ब्रायन ट्रेसी यहाँ नौकरी के क्षेत्र में सफलता पाने का तीन हिस्सों का सरल फार्मूला बताया जा रहा है : थोड़ी जल्दी आएं ,थोड़ी ज्यादा मेहनत से काम करें और थोड़ी ज्यादा देर तक ऑफिस में रुकें। इस फॉर्मूले का पालन करने पर आप अपने प्रर्तिस्पर्धाओं से आगे निकल जाएंगे की वे आपकी बराबरी नहीं कर पाएंगे। ब्रायन ट्रेसी सेल्सपर्सन ,उद्दमी य

नकरात्मकता से बाहर निकलने का जादुई तरीका

नकरात्मकता से बाहर निकलने का जादुई तरीका -कृतज्ञ सभी परिस्थितिओं में कृतज्ञ होता है। - बहाउल्ला ( 1817 - 1892 ) चाहे सम्बन्धोंए में उलझन हो , आर्थिक दबाव हो, स्वास्थ्य की गड़बड़ी हो या नौकरी की समस्या लम्बे समय तक कृतग्यता की कमी के कारण नकरात्मक परिस्थितयां उत्पन्न हो जाती है। चीजों को नजरअंदाज करना नकरात्मकता का एक प्रमुख कारण है,क्यूंकि जब हम चीजों को नजरअंदाज करते हैं तो हम  धन्यवाद नहीं दे रहे हैं और इसके फलस्वरूप अपने जीवन में आप जादू सक्रीय होने से रोक रहे हैं। नकरात्मकता से बाहर निकलने का जादुई तरीका , आप जब भी किसी नकरात्मक स्थिति में हो तो आप क्या कह सकते हैं ,इसके उदाहरहण दिए जा रहे हैं : मैं बहुत कृतज्ञ हूँ की इस दौरान मेरे पास अपने परिबार के लिए अधिक समय है।  मैं कृतज्ञ हूँ की खाली समय होने के कारण अब मेरा जीवन बेहतर जीवन बेहतर व्यवस्थित हो गया है - जब आपको यह लगे की आपका जीवन अव्यवस्थित हो रहा है।  मैं कृतज्ञ हूँ की मेरे पास जीवन में अधिकतर समय नौकरी रही है और मैं अनुभवी हूँ - जब आपको नौकरी में कोई दिक्कत लग रही हो तो।  मैं कृतज्ञ हूँ की रोजगार के नए-

बाज का अंडा

एक घने जंगल में एक बार एक बाज का अंडा किसी तरह जंगली मुर्गी के अण्डों के बिच चला गया और बाकि बाकि अण्डों के साथ मिला गया ,चूँकि अंडे तो सभी सामान होते हैं क्या मुर्गी और क्या बाज। जैसे मुर्गी अपने अन्य अंडे का सेवा कर रही थी वैसे ही उसने बाज के अंडे का भी सेवा किया और कुछ दिनों के बाद समय आने पर अंडा फूटा। सभी अण्डों से चूजे निकले और बाज के अंडे से भी चूजा निकला। बाज का बच्चा यह अंडे से निकलने के बाद यह सोंचता हुआ बड़ा हुआ की वह एक मुर्गी है। बाज एक बच्चा भी वही काम करते जो अन्य मुर्गी के बाचे करते थे। जैसे अन्य बच्चे जमीन खोदकर अनाज के दाने चुगता और मुर्गी के बच्चे की तरह चूं-चूं करता था। जब बच्चे खेल-खेल में कुछ फिट तक उड़ते थे और बाज का बच्चा भी वही कोसिस करता था और वह भी कुछ फिट तक उड़ता था। एक बार की बात है जब बाज उन मुर्गी के बच्चे और मुर्गी के साथ जंगल में अपने दिनचर्या में लगे थे तभी सभी ने आकाश में एक बाज को उड़ते हुए देखा और उन्होंने देखा की बाज आकाश में कुलांचे भर भर रहा था ,मंडरा रह था। बाज के बाचे ने पूछा माँ इस सुब्दर सी चिडयां का क्या नाम है ? मुर्गी ने कहा - उस

जॉन रॉकफेलर -शहर का सबसे अमीर आदमी

जॉन रॉकफेलर- शहर का सबसे अमीर आदमी एक व्यापारी अपने व्यवसाय में पूरी तरह से असफल हो गया था और क़र्ज़ में डूब गया था। एक बार वह व्यापारी उदास होकर एक बगीचे में बैठा-बैठा अपने बिज़नेस को लेकर चिंतित था की अब तो व्यापार बंद हो जायेगा और यह सोंचकर बहुत निराश था,और सोंच रहा था की काश कोई कंपनी को बंद होने से बचा ले। तभी एक बूढ़ा आदमी उसके पास आकर उसके बेंच पे बैठ गया और उस उदाश व्यापारी की तरफ देखकर बोला-आप बहुत चिंतित लग रहे हैं ,क्या आप अपनी समस्या बता सकते हैं मुझे ? शायद मैं आपकी कुछ मदद कर सकूँ ? व्यवसायी ने अपनी समस्या उस बूढ़े व्यक्ति को सुनाई और व्यवसायी की समस्या सुनकर बूढ़ा व्यक्ति ने अपनी जेब से चेक बुक निकाला और एक चेक पे अपना दस्तखत करके उस व्यवसायी को दे दिया और कहा-तुम यह चेक रखो ,एक वर्ष बाद हम यहाँ फिर मिलेंगे तो तुम मुझे पैसे वापस लौटा देना। व्यवसायी ने चेक देखा तो उसकी आंख्ने फटी रह गई - उसके हाथ 50 लाख का चेक था जिस पर उस सहर का सबसे अमीर आदमी जॉन रॉकफेलर के साइन थे। उस व्यवसायी को विस्वास नहीं हो पा रहा था की वह बूढ़ा आदमी  नहीं बल्कि उस शहर का सबसे अमीर आदमी जॉन रॉकफ

DIAMONDSHIP का सच

DIAMOND बनने के लिए सिर्फ हाथ-पे-हाथ रखकर सिर्फ सपनों का हवामहल बनाने से कुछ नहीं होगा,अपने सपनों को पूरा करने के लिए म्हणत एवं कार्ययोजना आवश्यक है। DIAMONDSHIP का मन्त्र पहला मन्त्र- घर से निकले बिना कुछ नहीं होगा।नेटवर्क मार्केटिंग ही नहीं, वरन किसी भी क्षेत्र में घर बैठे-बैठे बिना प्रयत्न्न किये सफलता हासिल नहीं होती। यदि आप डायमंड बनना चाहते हैं तो सबसे पहले आराम का त्याग करिये, सुख-सुविधाओं का त्याग करो। ना सुनने का भय मिटाइये। DIAMONDSHIP का मन्त्र दूसरा मन्त्र- उनकी सोंचिये जिनका क़र्ज़ चुकाना है। जीवन में आज तक जिन लोगों ने भी आपके लिए अपनी नींद और आराम का बलिदान किया है जिन लोगों ने भी आपके सुख की प्राथमिकता देते हुए सुख का त्याग किया,जिन लोगों ने भी हरपल आपका ध्यान रखा और खुद के लिए उन्होंने कुछ नहीं सोंचा,आज उनके क़र्ज़ को चुकाने का वक़्त आ गया है। माता-पिता ,चाचा-चाची,भाई-बहन , ये किसी भी रूप में हो सकते हैं। DIAMONDSHIP का मन्त्र तीसरा मन्त्र- हरदिन पांच मिनट एकांत में बैठिये स्वयं का आकलन कीजिये। आज मैंने कौन सी नई बात सीखी ? आज मैंने कितने नए नाम को लिस्ट में जो

क्या आप स्वयं से प्रश्न पूछते हैं ?

क्या आप स्वयं से प्रश्न पूछते हैं ? याद करने की कोसिस कीजिये ,पिछली बार,कब आपने एकांत में बैठकर स्वयं से कुछ प्रश्न पूछे और अंतरात्मा से ईमानदार उत्तर लिया। बहुत कम लोग ही ऐसा करते हैं ,खुद से प्रश्न करनेवाले का प्रतिसत दुनिया में बहुत कम है। स्वयं से प्रश्न कजिये। खुद से प्रश्न करना बहुत कठिन है क्यूंकि हमारा मन सारे प्रश्नों का उत्तर जानता है। यदि आपका जीवन मूल्य स्पष्ट है और आप उन मूल्यों पर आधारित जीवन जी रहे हैं,तो आपको स्वयं से प्रश्न करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। यदि आपके जीवन के लक्ष्य स्पस्ट नहीं है ,आपके कार्य योजना स्पस्ट नहीं है ,आपके जीवन मूल्य स्पस्ट नहीं है तो आपको स्वयं से प्रश्न करने में दिक्कत महसूस होगी। हर रोज स्वयं से प्रश्न कीजिये जो आपके कानों में मिश्री घोलते हों और ऐसे प्रश्न भी कीजिये जो आपके कानों में सीसा उड़ेलते हों। जिंदगी में सरे उत्तर आपके भीतर से ही पैदा होंगे। मेरे जिंदगी जीने का उद्देश्य क्या है , दुनिया से जाने के बाद मैं किस रूप में जाना चाहूंगा ? किस काम को करते हुए  मैं सर्वाधिक खुसी महसूस करता हूँ और करूँगा।  मेरे भीतर कौन-

इच्छा

सफल होने के लिए प्रेरणा किसी मकसद को हासिल करने की गहरी इच्छा से जन्म लेती है। इच्छा बहुत ही जरुरी तत्व है सफलता के लिए। नेपोलियन हिल ने भी लिखा है -इंसान का दिमाग जिन चीजों को सोंच सकता है,  पर यकीं कर सकता है ,उन्हें हासिल भी कर सकता है। आखिर सफलता के लिए इच्छा कैसा होना चाहिए ?  छोटा सा कहानी बताने जा रहा हूँ। एक यूवक सुकरात ( जो की बहुत ही सफल व्यक्ति थे ) से सफलता का रहस्य पूछा ? सुकरात ने उस युवक से अगर आप सफलता का रहस्य जानना चाहते हैं कल सुबह  नदी के किनारे मिलना। दूसरे दिन युवक सुकरात से मिलने नदी के किनारे सुबह-सुबह पहुँच गया ,अभी सूर्य की लालिमा आने को थी। सुकरात ने उस युवक को बोला की आप मेरे पीछे-पीछे आओ और वो खुद नदी के अंदर धीरे-धीरे जाने लगे। सुकरात पानी के उस तल तक नहीं पहुँच गए जहाँ पे पानी उनके गर्दन तक पहुंच रहा था और उस युवक के भी पानी उसके गर्दन डूबने तक था। तो अचानक से सुकरात पीछे मुड़कर अचानक युवक सर पानी  दिया। युवक पानी से निकलने  छटपटाने लगा वो बहुत जोर से अपने हाथ पैर को चलाने लगा की कैसे सुकरात के चंगुल से बच जाएँ। लेकिन चूँकि सुकरात ताकतवर थे और शरीर

मार्कस औरेलियस- morning quotes in hindi

जीवन छोटा है। इसकी सबसे अहम् चीजें न भूलें:दूसरों के लिए जीना और उनका भला करना।                                                                                    - मार्कस औरेलियस एक आत्मा की सुंदरता तब चमक उठती है,जब व्यक्ति एक के बाद दूसरे दुर्भाग्यों को शांति से सहन करता है,इसलिए नहीं की वह उन्हें महसूस नहीं करता ,बल्कि इसलिए की वह एक ज्यादा लचीलेपन का व्यक्ति होता है।                                                                                                   -अरस्तु। यदि आप अपनी सीमाओं के लिए तर्क गड़ेंगे,तो वे सीमाएं आपके लिए सदा कायम रहेंगी।                                                              - रिचर्ड बाख।  जब सुबह जागते हैं,तो यह सोंचें की जीवित रहना-साँस लेना,सोंचना,आनंद उठाना,और प्यार करना कितना बहुमूल्य सौभाग्य है।                                                               - मार्कस औरेलियस । हर सुबह मैं जब जागता हूँ और दुनिया को अक्षुण्ण देखता हूँ ,तो मुझे हैरत होती है। सब प्रकृति के आशावाद के सबूत दीखते हैं। एक नई  रौशनी होती है, बारिश शानदार रूप से भीग

महान दिन की शुरुआत करें

एक महान दिन की शुरुआत करें -एक महान दिन जीवन अच्छी तरह जिए गए दिनों की मोतियों के हार की पिरोयी गई श्रृंखला से ज्यादा कुछ नहीं होता। महान दिनों के लिए एकाग्र हों,और एक महान दिन का आना तय है।   अपने दिन की शुरुआत 10 चीजें लिखकर करें ,जिनके लिए आपको अपने जीवन में कृतज्ञ होना  है।  ३० मिनटों का समय लेकर  विवेक बढ़ाने वाला साहित्य से कुछ पड़ें ,ताकि आपका नजरिया फिर से बहाल कर सकें और खुद को आप प्रेरित कर सकें।  5 मिनट का समय लेकर अपने दिन की योजना बनाएं और उसके द्वारा एक ऐसा साँचा की रचना करें ,जिसके आधार पर आप दिन के बाकि घंटे बिताएं। इसके अतिरिक्त 3 ऐसे छोटे-छोटे लक्ष्य तय करें ,जिन्हें आप इस दिन हर हालत में हासिल करेंगें।  ऐसे आहार लें ,जिसे एथिलीट अपने जीवन की सबसे अहम् स्पर्धा की तयारी करते हुए लेगा और प्रयाप्त मात्रा में पानी पियें  अपने दिन के अंत में ,अपने जर्नल में लिखकर गहराई से यह चिंतन करें की आपने इसे कैसे बिताया। अपने कार्यों का मूलयांकन करें और उन क्षेत्रों की पहचान करें, जिन्हें बेहतर करना है।  अपने दिन को अपनी छोटी-छोटी जीतों पर सोंचते हुए एक ऊँ

विस्वास हासिल करने का अचूक तरीका

आज के पोस्ट में मैं आपको बताने जा रहा हूँ की आप किसी भी इंसान का विस्वास हासील कैसे कर सकते हैं ? विस्वास के  काबिल बनें। असली टेस्ट यह नहीं है की क्या सामने वाला विस्वास करेगा ,बल्कि साली टेस्ट यह है क्या आपको इस पर विस्वास है ? जबकि गलती हम यह करते हैं की दुनिया को समझने की कोसिस करते हैं पर कहीं-न-कहीं शक हमारे दिमाग भी रहता है। अपने आप में विस्वास जगाने के लिए दूसरों का विस्वास हासिल करने का अनिवार्य नियम है-  अपने बिज़नेस का ज्ञान रखिये।  ..आधा-अधूरा  नहीं पूरा रखना होगा ,याद रखें आपके प्रोडक्ट्स की जितनी ज्ञान होगी जीत उतनी आसान होगी क्यूंकि आपके जंग के वही असली हथियार है -ज्ञान। चलते रहिये और ज्ञान बढ़ाते रहिये। दूसरों के विस्वास को जितने और बनाये रखने का एक और तेज तरीका विश्व के महान कूटनीतिज्ञ बेंजमिन फ्रेंक्लिन के नियम  का  पालन करना है- मैं कभी किसी के बारे में जितना अच्छा बोल सकता हूँ ,अच्छा बोलूंगा। अपने प्रतिद्विंदि का भी तारीफ करूँगा। अतिश्योक्ति के बजाय अंडरस्टेटमेंट या न्यूनोक्ति की आदत डालें। कार्ल की यह फिलॉसोफी याद रखें :हाँ ,परन्तु मैं यह जानता हूँ। किसी

निरमा वाशिंग पाउडर की सफलता की कहानी

निरमा वाशिंग पाउडर की सफलता की कहानी -करसनभाई पटेल   निरमा वाशिंग पाउडर जैसी लोकप्रिय ब्रांड के सर्जक करसन भाई पटेल का जन्म 1945 में गुजरात के महेसाणा जिले के रूपपुर गाँव में हुआ था। किसान परिवार के करसन भाई पटेल रसायन के विषय में बीएससी करने के बाद लाल भाई ग्रुप की न्यू कॉटन मिल्स  में लैब टेक्निसियन के रूप में नौकरी की। 1961 में वे सरकार के खनिज और भू-स्तर विभाग से भी जुड़े।  करसनभाई पटेल भू- विभाग से शेष समय अपने घर में अपने रसायन के ज्ञान का इस्तेमाल करके डिटर्जेंट पाउडर बनाना सुरु किया। पाउडर को पैक करके अपनी पुत्री के नाम से निरमा ब्रांड का वाशिंग पाउडर बेचना सुरु किया। घर में पाउडर बनाना और उसे प्लास्टिक में पैक करना और उसे साइकिल से निकल जाते थे उसे बेचने के लिए। ये सभी काम वो नौकरी करने के बाद बचे समय में करते थे। बाजार में सिर्फ सर्फ वासिंग पाउडर 9 रुपये प्रति किलो के दाम से बिकता था तब वे निरमा वासिंग पाउडर सिर्फ तीन रुपये प्रति किलो के भाव से बेचने लगे। उनका वाशिंग पाउडर दाम कम होने के साथ असरदार था। इसलिए वे वासिंग पाउडर की जितने भी थैलियां बनाते थे सभी बिक

लीडर्स के छह स्तर

किसी भी लीडर्स का विकास उसके स्तर के अनुसार ही होता है। जॉन सी. मैक्सवेल के अनुसार लीडर्स के छह स्तर होते हैं। पहला स्तर : धीमा विकास कुछ लोग बहुत धीमी गति से विकास करते हैं और उनके विकास में दिशा नहीं होती है। ये लोग इतनी धीमी गति से यह करते हैं की नजर ही नहीं आता है। हो सकता है वो अपने काम में निपुण हों,परन्तु वे कभी उभर कर नहीं आ पाते हैं। दूसरा स्तर : विकास उन्हें सक्षम बनाता है कई लोग यह गलती से यह मान लेते हैं अपने काम को अच्छी तरह से करना ही उनके विकास का अंतिम लक्ष्य है। ऐसा नहीं है। अच्छे विकासकर्ता या व्यक्तिगत विकास की प्रबल इच्छा के बिना लोग विकास की प्रक्रिया में यहीं रुक जाते हैं। तीसरा स्तर : विकास उन्हें स्वयं को बहुगुणित करने में समर्थ बनाता है विकास के इस स्तर पर लोग अपने मूल्य में वृद्धि करते हैं ,क्यूंकि वे अपनी विशेसग्यता के क्षेत्र में दूसरों को प्रशिक्षित करने में समर्थ हैं। जो लोग तकनिकी रूप से शसक्त होते हैं ,परन्तु जिनमें लीडरशिप की योग्यताएं काम होती हैं ,वे ऐसा करने में समर्थ होते हैं ,प्रबल लीडरशिप योग्यताओं वाले दूसरे लोग यह कर सकते हैं ,भल

नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी

आज 21 वी सदी का सबसे क्रन्तिकारी तरीका है नेटवर्क मार्केटिंग है। लेकिन लोगों के मन में बहुत से सवाल होते हैं इन कंपनियों को लेकर। लेकिन मैं आपको बता देना चाहता हूँ की सच में नेटवर्क मार्केटिंग एक बहुत ही शानदार और बिज़नेस की तरह ही है जिसे आप बहुत कम इन्वेस्टमेंट के साथ शुरुआत कर सकते हैं। इस बिज़नेस की खास बात यह है की आपको जो भी चैलेंज आने वाला है पहले ही पता चल जाता है और परिणाम भी। नेटवर्क मार्केटिंग कम्पनी आज के समय की जरुरत है क्यूंकि आपको पता है जॉब की मारामारी और यदि आपका कैसे करके लग भी जाये तो बॉस जीना हराम कर देता है। तो यदि आपको समय की आजादी और पैसे की आजादी चाहिए तो आपको अपना नेटवर्क बनाना पड़ेगा। और नेटवर्क बनाने के लिए आपको सीखना पड़ेगा। चेतावनी -एक महत्वपूर्ण बात इसमें भी और बिज़नेस की तरह ट्रेनिंग की जरुरत होती है और उसके बाद भी अन्य व्यवसाय के तरह ही कोई गरंटी नहीं होती है की आप सफल हो ही जाएँ। स्कोप इन इंडिया -अगर मैं भारत में बात करें तो बहुत कम लोग नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी में जुड़े है अगर एक सर्वे के अनुसार और एक किताब में छपे लेख के अनुसार भार

जादुई घंटी

 एक नदी के तट पर एक बहुत सुन्दर गाँव था। गांव के लोग मेहनत मजदूरी करके गुजारा करते थे। उस गॉंव में रामु नाम का गरीब चरवाहा था। वो आपकी मधुर आवाज के लिए प्रसिद्ध था,वो हर दिन गाना गाकर गाँव के सभी भेड़-बकरियाँ चराने पास के जंगल में ले जाता था। जंगल में स्थित एक पर्वत था और उसकी चोटी पर एक विशाल पेड़ था। रामु इस पेड़ की छावों में गाना गाता और रामु सारी भेड़-बकरियाँ पे नजर रखता था। शाम होते ही रामु वापस गांव आ जाता था और सभी भेड़-बकरियाँ को गांव के सभी लोगों को सौंप देता था। दिन भर कड़ी धुप में भेड़-बकरियाँ को चराने के लिए उसे हर घर से एक सिक्का मिलता था। ये सिक्का को रामु घर ले जाता था और अपने भाई और माँ का भूख मिटाता था ,क्यूंकि जो सिक्के कमाकर लाता था उसके कारण वो घर के लिए जरुरी चीजें ला पाता था,लेकिन छोटा भाई का अच्छा खाना खाने का दिल करता था वो हर दिन रुखा-सूखा खाकर ऊब चूका था। यह बात रामु समझता था लेकिन वह कर भी क्या सकता था ? अगले सुबह उठकर फिर से वह भेड़-बकरियाँ चराने फिर से जंगल के चोटी पर पहुंचा तो उसने देखा की एक लकड़हारा उस पेड़ को काट रहा था जिसके निचे वह बैठकर भेड़-ब

जिंदगी के पुरस्कार दिलाने वाली नौ आदतें

पहली आदत - कृतग्यता - जिंदगी में जो चीज मिली है उसके लिए कृतज्ञ रहें। रोजाना उस चीज की प्रशंसा करें जो आपको मिली है।   '' आज कितना सुन्दर दिन है। ''  '' भगवन ने कितनी अच्छी सेहत और अच्छा दिमाग दिया है। '' उन्होंने कितने सुन्दर कपडे दिए और भोजन दिए हैं। '' '' उन्होंने मासिक शांति दी है '' '' उन्होंने मुझे सेवा करने का मौका दिया है '' दूसरी आदत - भौतिक समृद्धि - हर दिन आपके ,दिमाग में समृद्धि और प्रचुरता की चेतना भरना चाहिए। इसके साथ ही आपको अपने मस्तिष्क से गरीबी और आभाव  को बाहर निकलना चाहिए। तीसरी आदत - अच्छी सेहत - हर दिन  सोंचें की आप शरीर की कैसी देख्बाहल कर रह हैं,आप क्या खा रहे हैं और अपने तनाव का सामना किस प्रकार से कर रहे हैं। स्वास्थ्य के बारे में सजग रहने से आपकीओ सेहत सुधरती है और अच्छी बानी रहती है। चौथी आदत - मानसिक शांति -  इसका अभ्यास करें। खुद के बांये  सभी अवरोधों और खुद की बनाई हुई सभी सीमाओं से मस्तिष्क को मुक्त करें। इस तरह अपने शरीर और मस्तिष्क को पूरा आराम दें। पांचवी आ

विज्युलाइजेशन से वजन घटाया

आप इसे विज्युलाइजेशन  दौरान जब आप अल्फा लेवल पर जाकर यह स्क्रिप्ट जो निचे दिया जा रहा है उसे आप मन में दोहराएं। विज्युलेशन बहुत ही प्रभावकारी होता है। आप विज्युलाइजेशन  सुबह या शाम में कर सकते हैं। या फिर आप सफर के दौरान भी कर सकते हैं। आज विज्युलाइजेशन वजन घटाने के लिए है। मेरे सामने आइना है। आईने में,मैं दीखता हूँ। वाह ! वाह ! वाह ! किसी कितने आश्चर्य की बात है। किसी समय  मानना था की मेरा वजन घट नहीं सकता है लेकिन आज वास्तविकता मेरे सामने है ,उपयुक्त वजन के साथ मेरा शरीर आईने में दिख रहा है। पेट ,कमर, कंधे ये सभी जितने होने चाहिए थे एक सामन्य वजन के मुताबिक ही हैं। मैं अपने पैरों के निचे वजन का कांटा देख सकता हूँ मेरा वजन उतना ही दिखाई दे रहा है जितना मेरे उम्र और आयु के हिसाब से होना चाहिए था।  वजन तोलने की मशीन में कांटा स्पष्ट दिखाई दे रहा है। ( कुछ समय के बाद ) मैं अपने काम में व्यस्त हूँ ,मेरा काम बहुत स्फूर्ति से कर रहा हूँ। शीघ्रता से और स्फूर्ति से काम करने में आनंद आ रहा है। मेरा शरीर बिलकुल नया और बिलकुल हल्का महसूस हो रहा है। मेरा वजन कम होने से काम की गति भी बढ़ ग

बॉस और लॉस से छुटकारा

बॉस और लॉस  से छुटकारासच्चाई तो यह है की आदमी  अक्सर डर से जीता रहता है........ नौकरी  में बॉस का डरऔर बिज़नेस व खेती में. लॉस का डर। अगर आपने नेटवर्किंग में अपना नेटवर्क बनाया  तो राजा की तरह जिंदगी जी  सकते हैं। क्या आप स्वतंत्र जिंदगी जीना चाहते हैं। यदि हाँ ,तो यह मौका आपके लिए है। यह एक नई सदी है जब मैं बच्चा था,तो मेरे माता-पिता ने मुझे सफलता का वही फार्मूला सिखाया ,जो शायद आपको भी सिखाया गया होगा :स्कूल जाओ,मेहनत से पढ़ो और अच्छे ग्रेड लाओ,ताकि तुम्हें सुरक्षित ,ऊँची तनख्वाह तथा अन्य लाभ वाली नौकरी मिल सके - इसके बाद तुम्हारी कंपनी तुम्हारी परवाह करेगी। लेकिन यह औद्योगिक युग की सोंच थी और आजकल हम औद्योगिक युग में नहीं रहते हैं। आपकी कंपनी आपकी परवाह नहीं करेगी। सरकार आपकी परवाह नहीं करेगी। कोई आपकी परवाह नहीं करेगा। यह नई सदी है और इसके नयम बदल गए हैं। यदि आपने अपने अपनी कंपनी में तरक्की की सीढ़ी चढ़ने में बरसों लगाएं हैं ,तो क्या आपने कभी ठहर कर इस बात पर किया  है कि आपको सामने कौन सा नजारा दिखता  है ? आप पूछते हैं हैं ,कौन सा नजारा ? अपने आगे वाले व्यक्ति का पिछवाड़ा ?आप

बिल गेट्स

माइक्रोसॉफ्ट की कामयाबी के दो मुख्य कारण हैं : प्रथम ,हम अपने उत्पादन में नित्य परिवर्तन करते हैं। दूसरा - उत्पादन खर्च निम्न  रखते हैं। इनफार्मेशन टेक्नोलोजी को हो सके उतनी सरल आम आदमी तक पहुँचाने का काम किया है।                                                                               - बिल गेट्स। विलियम हेनरी गेट्स तीसरे ( बिल गेट्स ) का जन्म सिएटल शहर में 28 अक्टूबर 1955 में हुआ था। उनके पिता सिएटल में अटार्नी थे। उनके माता स्वर्गस्थ मेरी गेट्स स्कूल में शिक्षिका थी। बिल गेट्स ने 13 साल की उम्र में ही  कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग करना शुरू कर दिया था। 18 साल की उम्र उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया था जहाँ उनकी मुलाकात माइक्रोसॉफ्ट के  C.E.O. स्टीव बाल्मेर से  हुई थी। जब वे १८ साल के उम्र में अंडर ग्रेजुएट विद्यार्थी के तौर पर पड़ते थे तब उन्होंने कंप्यूटर की एक भाषा लिखी , नाम बेसिक। 18 साल की छोटी उम्र में उन्होंने अपनी प्रथम कंपनी की स्थपना की और सिएटल म्युनिसिपल कोपोरेशन को शहर का ट्रैफिक गिनने का कंप्यूटर बेचा। 1975 में अपनाक ग्रेजुएशन पूर्ण करने से

तरुणसागर जी कथा

कुछ लोग कहते हैं की तरुणसागर जी कथा में हंसाते हैं। मैं कहता हूँ अरे बाबा ! यह सत्संग हंसने के लिए है ? प्रवचन सुनने के बाद रोना आना चाहिए की अब तक का मेरा जीवन यूँ ही खाने-पिने और सोने में चला गया। कथा को सिर्फ सुनना नहीं बल्कि गुनना भी है। और फिर मैं कथा कहाँ ,मैं जीवन की व्यथा सुनाता हूँ। जिस घर को तुमने खून-पसीना एक करके बनवाया है। तुम देखना एक दिन डंडा और कण्डा के साथ घर से बेघर कर दिए जाओगे। मुझे तरुण सागर का निवेदन सिर्फ इतना है की डंडा और कण्डा के साथ घर से बाहर निकाले जाओ या फिर पिच्छी-कमण्डलधारी की सेवा में लग जाओ। कहिये !क्या ख्याल है ? जिंदगी में बदलाव जरुरी है। सिर्फ दो लोग हैं जो कभी नहीं बदलते-एक तो मुर्ख और दूसरा मुर्दा। अगर आप कहते हैं की आप जहाँ हैं वहां तो कोई नहीं पहुँच सकता है तो इसका अर्थ हुआ की आप प्रमोशन नहीं चाहते। सीडी और सड़क बैठने के लिए नहीं होती। इन पर चलते रहना जरुरी है। बदलाव का यह मतलब गतिशीलता। पानी ठहर जाये तो गन्दा हो जाता है। जीवन अगर ठहर जाए तो धुंधला हो जाता है। गाय दूध देती नहीं है ,दूध निकलना पड़ता है। जीवन में महान कार्य स्वतः ही

कृतग्यता

आप अपने जीवन के निर्माता हैं और कृतग्यता ही वह साधन है जिससे अविश्वसनीय जीवन का निर्माण किया जा सकता है। इन जादुई अभ्यासों के माध्यम से आपने अब एक बुनियाद बना ली है तथा कृतग्यता के सहारे आप अपने जीवन की ईमारत में और अधिक मंजिलें जोड़ रहें हैं। आपका जीवन और ऊँचा उठता चला जायेगा ,जब तक की आप सितारों को छूने लगेंगे। कृतग्यता के साथ आप अपनी ऊंचाइयों तक उठ सकते हैं ,इसका कोई छोर नहीं है। न ही उस जादू की सीमा है ,जिसका आप अनुभव कर सकते हैं। न ही जादू की कोई सीमा है ,जिसे आप अनुभव कर सकगते हैं। ब्रह्माण्ड के तारों की तरह असीमित है ! कृतग्यता व्यक्त करना शिष्ट और सुखद होता है ,कृतग्यता के कार्य करना उदार और उदात्त है,लेकिन कृतज्ञता को जीना स्वर्ग छूने के सामान है।                                 - जोहानस ए.गेरटर।  मैंने छोटी चीजों के लिए धन्यवाद देकर शुरू किया और मैं जितनी कृतज्ञ बनी ,मेरी समृद्धि बढ़ती गई। ऐसा इसलिए क्यूंकि आप जिसपर ध्यान केंद्रित करते हैं ,उसका विस्तार होता है और जब जीवन में अच्छाई पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो उसका अधिक सृजन करते। हैं अवसर,सम्बन्ध यहा

एक संघर्ष भरी सच्चे हीरो की कहानी

आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे एक महान शख्सियत का जो की विश्व की विश्व की सर्वाधिक बिक्री होने वाली पुस्तक ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ़ टाइम के लेखक हैं ,बताइये कौन ? गैलिलिओ ,न्यूटन एवं आइंस्टाइन के समकक्ष प्रतिभा का वैजानिक हैं ,उनका नाम बताइये ? उनका नाम है डॉ स्टीफन हॉकिंग। एक संघर्ष भरी सच्चे हीरो की कहानी। डॉ स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 में और उनकी मृत्यु 14 मार्च 2018 में हुआ। 21 वर्ष की उम्र में ही दो मोटर न्यूरोजन डिजीज के शिकार हो गए जो की लकवे से भी खतरनाक बीमारी थी। यह रोग व्यक्ति के शारीरिक शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करता रहता है। सभी अंग धीरे-धीरे कमजोर होते चले जाते हैं। हॉकिंग 30  व्हील चेयर में कैद थे। वे स्पीच सिन्थेसाजिर की मदद से बोलते हैं। जिसको उनके लिए एक विशेष कंपनी ने तैयार किया था। भले ही व्हील पे हों ,अंग क्षीण हो गए थे लेकिन मानसिक शक्ति पे उनका हमेशा अधिपत्य बना रहा। हॉकिंग ने आइंस्टाइन के सापेक्षता सिद्धांत को कवान्टम सिद्धांत के साथ मिलाया एवं बताया की ब्रह्माण्ड की संरचना किस प्रकार हुई। दोस्तों ,कितने आश्चर्य की बात की जिस व्यक्ति की शरी

प्रत्येक दिन

आपके जीवन की फिल्मन कैसी चल रही है ?क्या आपको सेहत पैसा या संबंधों में कोई परिवर्तन करने की जरुरत है ? क्या आप इसे संपादित करना चाहते हैं ? आज ही अपनी फिल्म में मनचाहे परिवर्तन करने का दिन है,क्यूंकि आज के ही परिवर्तन कल परदे पर दिखेंगे। आज ही परवर्तन का दिन है। आप अपने जीवन की फिल्म बना रहे हैं और यह आपके हाथों में है -प्रत्येक दिन। हालाँकि सिखने को बहुत कुछ है और अध्यन करने के लिए भी बहुत कुछ है ,लेकिन जीवन का सत्य आपके आस-पास के संसार की हर चीज में है ,बसर्ते आपके पास उसे देखने वाली आँख हो। यह सिर्फ हमारा अज्ञान और बनी-बनाई मान्यताएँ हैं ,जो हमें सत्य के प्रति अँधा कर देती है। अपने भीतर प्रश्न  पूछना जारी रखें ,सीखना जारी रखें ,निश्चित मान्यताओं को छोड़ना जारी रखें और सत्य सामने प्रकट हो जायेगा। "जब आप किसी महान उद्देश्य ,किसी असाधरण योजना से प्रेरित होते हैं ,आपके सरे विचार बंधन तोड़ देते हैं ;आपका मन सीमाएं पार कर जाता है ,आपकी चेतना का हर दिशा में विस्तार  और आप खुद को एक नए ,महान और अद्भुत संसार में पाते  हैं। निष्क्रिय शक्तियाँ ,योग्यताएँ तथा प्रतिभाएँ सजीव ब

लोगों के मन की जितने की कला

कुछ लोगों में यह कला उनकी प्रकृति में होती है है ,जिसे हम कौशल्य कहते हैं जबकि कुछ लोगों ने लोगों के मन जितने की कला को अपने आप विकसित किया है।  आप ऐसे कई लोगों को जानते होंगे की मन के साफ हैं ,नीतिवान हैं ,परिश्रमी हैं ,संस्कारी हैं,बुद्धिशाली भी फिर भी हमेशा तकलीफ में ही रहते हैं,क्यूंकि उनके पास सबकुछ है लेकिन लोगों के मन जितने की कला नहीं है। यह कला सीखना अनिवार्य है  हम जंगल में रहने वाले कोई अकेले प्राणी नहीं हैं। मनुष्य होने के नाते हम सामजिक प्राणी हैं। हमारे दुःख-सुख ,सफलता विफलता सब कुछ समाज से जुड़ा हुआ है। हम जानते हैं की परिवार  समाज सब  एक-दूसरे  सहयोग  है  विकसित होते हैं।  अगर हम सभी क्षेत्रों में विकाश चाहते हैं ,तो लोगों का सहयोग पाना जरुरी है। लोगों का सहयोग पाने के लिए लोगों के मन की कला सीखना जरुरी है लोगों के मन जितने की कला के लिए निम्नलिखित बातों पे गौर करें -  किसी को भी गलत साबित करने की कोसिस ना करें।  काम की शुरुआत दोस्ती से करें।  अपनी बात को ऐसे रखें की सामने वाला को वो अपनी बात लगे।  किसी की भी आलोचना करने से दूर रहें   

संगमरमर का मूर्ति

मंदिर का मूर्ति किसी स्थान पर संगमरमर का एक विशाल  भव्य मंदिर था। संगमरमरके अतिरिक्त वहां किसी दूसरे पत्थर का प्रयोग किया नहीं गया था। मंदिर में भगवन की प्रतिमा भी संगमरमर की ही थी। लोग आते जाते मंदिर के बगल में जुटे उतारते , भीतर जाकर फल-फूल ,धूप-दिए आदि से भगवन की पूजा करते ,श्रद्धा से उनके चरणों में सर रखते। मंदिर के आँगन में फर्श था और जहां लोग जुटे उतारकर आते थे वहां लगा संगमरमर अक्सर सब देखता और दुःखी होता। वह सोंचता -ईश्वर का यह कैसा अन्याय है की मैं भी संगमरमर और वह मूर्ति भी संगमरमर की है। लोग मेरे मुँह पे जुटे उतारते हैं और उस भगवन के रूप में स्थापित संगमरमर को श्रद्धा से पूजते हैं, ऐसा अन्याय मेरे साथ क्यों ? एक रात जब मंदिर में सन्नाटा छा गया। पूजारी आदि चले गए तो आँगन का संगमरमर उठकर मूर्ति के समक्ष गया और गुस्से से बोलै -मुझे तेरे भाग्य से ईर्ष्या होती है। मूर्ति का संगमरमर मुस्कुराया और बोला - क्यों भाई , तुम व्यर्थ ही मुझसे ईर्ष्या करते हो हम तो एक ही जाती के हैं और हमारा रंग-रूप भी एक ही है। यही तो मेरी ईर्ष्या का कारण  है - आँगन के संग

बच्चे बिगड़ैल क्यों बनते हैं ?

बच्चे बिगड़ैल क्यों बनते हैं ? बच्चे जो कुछ भी बनते हैं उसके पीछे कहीं न कहीं हमारी जिम्मेदारी और हमारे परवरिश के कारण ही बनते हैं उसे बताइये की हर चीज की कीमत होती है तो लिहाजा वो एक दिन वह अपनी ईमानदारी भी बेच देगा।  उसे किसी बात पर दृढ़ न रहने की शिक्षा दीजिये। लिहाजा वह हर चीज पर फिसलेगा।  उसे सिखाइये की जिंदगी में कामयाबी ही सबकुछ है तो वह हर तिकड़म भिड़ायेगा और कामयाब होने की कोसिस करेगा।  उसे बचपन से ही वह सबकुछ दीजिये ,जिसकी उसे चाहत है ; लिहाजा वह इस सोंच के साथ बड़ा होगा की जिंदगी की जरूरतें पूरी करना दुनिया की जिम्मेदारी है और उसके सामने हर चीज तस्तरी में परोस कर  दी जाएगी।जब वह गंदे लफ्जों का इस्तेमाल करे तो आप उस हँसिये। इससे वह खुद को चतुर समझने लगेगा।  उसे नैतिकता के सीखने के वजाय ,उसके इक्कीश साल का होने का इंतजार कीजिये ,ताकि वह खुद के बारे में फैसला कर सके।  उसे मत टोकिये की  अनुसासन  ( उस टोकने से उसकी ) से आजादी छीन जाती है।  दोस्तों के बिच लोकप्रिय होने के लिए उसे कुछ भी करने दीजिये।  वह जो भी देखना सुंनना चाहे उसे देखने और सुनने की आजादी दीजिये। उसके सर

यह चिज क्या है जिसे प्यार कहते है ?

यह चिज क्या है जिसे प्यार कहते है ?  - प्यार वह मजबूत नींव है जिस पर किसी भी अच्छी शादी का निर्माण होता है और शादी का अर्थ होता है परिवार और देश की नींव है । आइए एक क्षण के लिए प्यार पर ग़ौर करें । कवि लोग इस बारे में लिखते हैं , गायक इसके बारे में बात करता है , और असल मे यह है क्या , इस बारे हर किसी के मन में अपने विचार हैं । इसमें मैं भी समिल हूँ ।   फ़र्स्ट कोरिथियन के तहरवें अध्याय में बहुत सुंदर चित्रण है सच्चा प्यार होता कैसा है । लोकक्योक्तीयों की किताब सिखाती है की प्यार सभी पापों को ढक देता है । जीसस क्राइष्ट ने कहा - पहले ईश्वर को मालिक समझकर प्यार करो , फिर पड़ोसी को अपने जैसा समझ कर प्यार करो ।   मनोवैज्ञानिक और विवाह-सलाहकार कहते हैं की कोई पिता अपने बच्चों के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण काम कर सकता है तो वह है उन बच्चों के माँ को प्यार करना है और कोई माँ अपने बच्चों के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण काम कर सकती है तो उन बच्चों के पिता को प्यार करना है ।   अपनी पीढ़ी में हम देखते हैं की प्यार और सेक्स ( काम ) का उल्लेख एक साथ इतना अधिक होता है कि बहुत लोग सोंचते ह

मुनिश्री तरुणसागर जी के कड़वे प्रवचन

एक सेठ बीमार बीमार था। दवा खाने के बाद भी ठीक नहीं हो रहा था। आखिर वह हकीम लुकमान से मिला। लुकमान ने कुछ गोलिया दी और कहा -इन्हें तीन बार अपने माथे के पसीने में पिघलकर खा लेना। सेठ कुछ ही दिनों में ठीक हो गया। शिष्य ने कहा- गुरुदेव ! बड़ी चमत्कारी दवा है। लुकमान हँसा और बोला - दवा क्या उपलों की राख थी। पर उसे तीन बार माथे पर पसीने लेन के लिए बड़ी मेहनत  करनी पड़ी होगी। यह चमत्कार उसी पसीने का है। सच्ची नींद और स्वाद चाइये तो पसीना बहाना मत भूलना। जिंदगी में तीन चीजों का अर्जन जरूर करें। बचपन में ज्ञान का , जवानी में संपत्ति का और बुढ़ापे में पुण्य का। बचपन अध्यन के  बुढ़ापा आत्म-चिंतन के लिए है। किसी छात्र ने पूछा कितने घंटे पढ़ना चाहिए ? जिस क्लास  में हैं ,स्कूल के अलावा उतने ही घंटे ,10 वी में हों तो 10 घंटे और 12 वी  12 घंटे। अगर आप तरुणसागर का कहा मानें तो मैं आपसे एक निवेदन करना चाहूंगा की अपने मित्र,चरित्र को हमेसा रखें पवित्र क्यूंकि यही है जिंदगी का असली इत्र। आपको पता है की चरित्र के पतन में प्रायः गलत मित्रों और गलत चित्रों का हाथ होता है। गलत मित्र और गलत चरित्र

कार्लोस स्लीम हेलु

कार्लोस स्लीम हेलु आज मैं एक ऐसे व्यक्तित्व के बारे बात करने जा रहा हूँ ,जिनसे आप बहुत  कुछ सिख कर अपने जीवन को और ज्यादा सुहाना बना सकते हैं।  लोग मुझे किस तरह से याद करेंगे यह सोंचकर मैं नहीं जीता हूँ। जिस दिन औरों के अभिप्राय के अनुसार आप जीना सुरु करोगेउसी दिन आपकी मृत्यु निश्चित समझो। उपर्युक्त अभिप्राय विश्व के सबसे अमीर आदमी कार्लोस स्लीम हेलु का है। उनका जन्म 28 जनवरी 1940 में मैक्सिको में हुआ था। आज वे 220 कंपनियों के मालिक हैं उनमें टेलीकम्यूनिकेशन , बैंक ,रेल्वे और होटल्स उनके मुख्य व्यवसाय हैं। आप मैक्सिको के सफर पर जाये और कार्लोस की किसी भी कंपनी का आपके खर्चे में से मुनाफा न हो ,ऐसी सम्भावना बहुत कम है। इसलिए लोग मिस्टर मोनोपोली के लाडले नाम से पहचानते हैं। द न्यूयोर्क टाइम्स कंपनी जब नुकसान कर रही थी तब कार्लोस ने 250 मिलियन डॉलर की लोन देकर कंपनी को बदनामी से बचाया था। मैक्सिको की जी.डी. पी. के करीब 7 प्रतिसत के मालिक हैं यदि बिल गेट्स को अमेरिका जी.डी .पी. के सात प्रतिसत डॉलर इकट्ठे करने हों तो उन्हें 101 मिलियन डॉलर इकट्ठे करने पड़ेंगे। वे छह संत

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नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी

आज 21 वी सदी का सबसे क्रन्तिकारी तरीका है नेटवर्क मार्केटिंग है। लेकिन लोगों के मन में बहुत से सवाल होते हैं इन कंपनियों को लेकर। लेकिन मैं आपको बता देना चाहता हूँ की सच में नेटवर्क मार्केटिंग एक बहुत ही शानदार और बिज़नेस की तरह ही है जिसे आप बहुत कम इन्वेस्टमेंट के साथ शुरुआत कर सकते हैं। इस बिज़नेस की खास बात यह है की आपको जो भी चैलेंज आने वाला है पहले ही पता चल जाता है और परिणाम भी। नेटवर्क मार्केटिंग कम्पनी आज के समय की जरुरत है क्यूंकि आपको पता है जॉब की मारामारी और यदि आपका कैसे करके लग भी जाये तो बॉस जीना हराम कर देता है। तो यदि आपको समय की आजादी और पैसे की आजादी चाहिए तो आपको अपना नेटवर्क बनाना पड़ेगा। और नेटवर्क बनाने के लिए आपको सीखना पड़ेगा। चेतावनी -एक महत्वपूर्ण बात इसमें भी और बिज़नेस की तरह ट्रेनिंग की जरुरत होती है और उसके बाद भी अन्य व्यवसाय के तरह ही कोई गरंटी नहीं होती है की आप सफल हो ही जाएँ। स्कोप इन इंडिया -अगर मैं भारत में बात करें तो बहुत कम लोग नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी में जुड़े है अगर एक सर्वे के अनुसार और एक किताब में छपे लेख के अनुसार भार

विज्युलाइजेशन से वजन घटाया

आप इसे विज्युलाइजेशन  दौरान जब आप अल्फा लेवल पर जाकर यह स्क्रिप्ट जो निचे दिया जा रहा है उसे आप मन में दोहराएं। विज्युलेशन बहुत ही प्रभावकारी होता है। आप विज्युलाइजेशन  सुबह या शाम में कर सकते हैं। या फिर आप सफर के दौरान भी कर सकते हैं। आज विज्युलाइजेशन वजन घटाने के लिए है। मेरे सामने आइना है। आईने में,मैं दीखता हूँ। वाह ! वाह ! वाह ! किसी कितने आश्चर्य की बात है। किसी समय  मानना था की मेरा वजन घट नहीं सकता है लेकिन आज वास्तविकता मेरे सामने है ,उपयुक्त वजन के साथ मेरा शरीर आईने में दिख रहा है। पेट ,कमर, कंधे ये सभी जितने होने चाहिए थे एक सामन्य वजन के मुताबिक ही हैं। मैं अपने पैरों के निचे वजन का कांटा देख सकता हूँ मेरा वजन उतना ही दिखाई दे रहा है जितना मेरे उम्र और आयु के हिसाब से होना चाहिए था।  वजन तोलने की मशीन में कांटा स्पष्ट दिखाई दे रहा है। ( कुछ समय के बाद ) मैं अपने काम में व्यस्त हूँ ,मेरा काम बहुत स्फूर्ति से कर रहा हूँ। शीघ्रता से और स्फूर्ति से काम करने में आनंद आ रहा है। मेरा शरीर बिलकुल नया और बिलकुल हल्का महसूस हो रहा है। मेरा वजन कम होने से काम की गति भी बढ़ ग

अजीम प्रेम जी विप्रो संस्थपक एशिया के सबसे बड़े दानवीर

अजीम प्रेमजी विप्रो संस्थपक  एशिया के सबसे बड़े दानवीर  ने दान किए 52,750 करोड़ भारत सरकार ने जब कोरोना से युद्ध लड़ने के लिए मदद मांगी तो उन्हों ने दान किए 52,750 करोड़ रुपये, अब तक 145,000 करोड़ दान दे चुके हैं , अजीम प्रेमजी  जन्म 25 जुलाई 1945 में करांची में हुआ था। उनको १९६६ में कैलिफोर्निआ की स्टैण्डर्ड यूनिवर्सिटी  कम्प्यूटर की पढाई  छोड़कर भारत लौटना पड़ा। उनके पिताजी ने उन्हें 7 करोड़ की कंपनी विरासत में दी थी ,जो वनस्पति घी ,और कपडे धोने का साबुन बना रही थी।  21 साल की उम्र में प्रेमजी को बिलकुल अनुभव नहीं था ,वो खुद भी साक्षात्कार में  -मैं इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं था। मेरे पास एक ही स्वप्न था की मुझे एक बड़ी कंपनी बनानी है। उन्होंने अपने घी, तेल साबुन बनाने  व्यवसाय में वृद्धि की साथ ही एक बड़ी कम्पनी बनाने का सपने के साथ 1980 में आई टी क्षेत्र में प्रवेश किया। 1991 में उनको जब्बरदस्त मौका मिला। भारत सर्कार ने अमेरिका की आई बी ऍम कम्पनी भारत में व्यापार करने पर प्रतिबन्ध रख दिया। एक बिज़नेस मैन नाते अजीमप्रेम जी यह मौका हाथ से गवाना नहीं चाहते थे। उनको पता था की