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Showing posts from May 27, 2017

-ब्रायन ट्रेसी के मोटिवेशनल कोट्स

ब्रायन ट्रेसी का जन्म 5 जनवरी 1944 एक कनाडाई-अमरीकन आत्म-विस्वास और प्रेरक सार्वजानिक वक्ता और लेखक है वह सत्तर से अधिक पुष्तकों के लेखक हैं ,जिनका दर्जनों भाषाओँ में अनुवाद किया गया है। उनकी लोकप्रिय पुस्तकें ,अर्न व्हाट यू आर रियली ,इट दैट फ्रॉग! और द साइकोलॉजी ऑफ़ अचीवमेंट है आइये इनके मोटिवेशनल विचारों को जानते हैं।-ब्रायन ट्रेसी के  मोटिवेशनल कोट्स 1 जिंदगी में कॉम्बिनेशन लॉक जैसी जैसी होती है ,बस इसमें अंक ज्यादा होते हैं। अगर आप सही क्रम में सही नंबर घुमाएंगे तो ताला खुल जायेगा। ब्रायन ट्रेसी मैंने पाया है की भाग्य की भविष्यवाणी की जा सकती है। यदि आप अधिक भाग्य चाहते हैं ,तो ज्यादा जोखिम लें। ज्यादा सक्रीय बनें। ज्यादा बार नजर में आएं। ब्रायन ट्रेसी यहाँ नौकरी के क्षेत्र में सफलता पाने का तीन हिस्सों का सरल फार्मूला बताया जा रहा है : थोड़ी जल्दी आएं ,थोड़ी ज्यादा मेहनत से काम करें और थोड़ी ज्यादा देर तक ऑफिस में रुकें। इस फॉर्मूले का पालन करने पर आप अपने प्रर्तिस्पर्धाओं से आगे निकल जाएंगे की वे आपकी बराबरी नहीं कर पाएंगे। ब्रायन ट्रेसी सेल्सपर्सन ,उद्दमी य

आलसी ब्राह्मण

 आलसी ब्राह्मण बहुत पुराणी बात है। एक ब्राह्मण छोटे से गांव  में  उसके पास सबकुछ था , जो उसे चाहिए था। उसे पास सूंदर पत्नी थी ,उसके पास होसियार बच्चे थे। उसके पास उपजाऊ जमीं था जिसपे  जो चाहे  वो फसल लगा सकता था। जिसपे काफी फसल उपज सकता था। लेकिन वो ब्राह्मण बहुत आलसी था उसकी पत्नी बहुत कोसिस की वो ब्राह्मण काम करे करे पर हर बार ब्राह्मण उसकी बात को टाल  देता। एक बार ब्राह्मण के एक साधु जी आये। ब्राह्मण ने बहुत प्रेम आदर सत्कार से सेवा किया।और साधु ने कहा -बेटा मैं तुम्हारे सेवा भाव से बहुत खुस हुआ बोलो तुम्हे क्या चाहिए जो चाहो मांग लो। तब ब्राह्मण  ने कहा - हे महाराज मुझे एक आदमी चाहिए जो मेरे सारे के  सारे काम पुरे कर दे ,और साधु मान गए और बोले ठीक है ऐसा ही होगा लेकिन याद रखना उसे हर समय व्यस्त रख सको इतना काम होना चाइये  ब्राह्मण  भी मान गया,  ठीक तभी एक बड़ा सा राक्षस  प्रकट हुआ और बोला  - मालिक मैं क्या करूं , मुझे अभी काम चाहिए। अगर तुमने मुझे काम नहीं दिया तो मैं तुम्हे खा जाऊंगा। और ब्राह्मण सोंच में पड़  गया और बोला - जाओ खेत में पानी डालो। राक्षस तुरंत गायब हो गय

सफलता का वास्तविक रहस्य क्या है ?

कुछ लोग ज्यादा सफल होते हैं ? कुछ लोग दूसरों से ज्यादा पैसा कमाते हैं ? ज्यादा सुखी जीवन क्योँ बिताते हैं और उतने ही वर्षों में ज्यादा उपलब्धियां क्यों  पा  लेते हैं ? सफलता का वास्तविक रहस्य क्या है ?  सफलता का पहला और स्पस्ट नियम है- बहाना बनाना छोड़ दें , कोई भी काम करें या न करें लेकिन बहाने न बनायें। काम न करने के बाद उसे उचित ठहराने  और न्यायसंगत तर्क गाड़ने के अपने अविश्वसनीय मस्तिष्क का दुरपयोग करना छोड़ दें।  कुछ भी करें।  आगे बड़े।  मन ही मन बार-बार दोहराएं : अगर मुझे यह करना ही है तो इसका दारोमदार मुझ पर है। परजीत लोग बहने बनाते हैं और विजेता प्रगति करते हैं।  कहा जाता है की लोग अपनी असफलता के बहने में जितनी ऊर्जा खर्च कर देते हैं उतनी अगर वे सही लक्ष्य प्राप्त करने में लगाएं तो वे सफल हो जायेंगे।  लेकिन सबसे पहले आपको बहनराटिस रोग से छुटकारा पाना होगा आपको उस द्वीप से बहार निकलना ही होगा। आत्म अनुसासन सफलता की कुंजी है। आत्म-अनुशासन को आत्म विजय भी कहा जा सकता है।  जो लोग अपनी क्षुधाओं पर काबू नहीं कर पते हैं वे कमजोर और भोगी होने के साथ-साथ अविश्वसनीय भी हो जाते हैं। आत

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नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी

आज 21 वी सदी का सबसे क्रन्तिकारी तरीका है नेटवर्क मार्केटिंग है। लेकिन लोगों के मन में बहुत से सवाल होते हैं इन कंपनियों को लेकर। लेकिन मैं आपको बता देना चाहता हूँ की सच में नेटवर्क मार्केटिंग एक बहुत ही शानदार और बिज़नेस की तरह ही है जिसे आप बहुत कम इन्वेस्टमेंट के साथ शुरुआत कर सकते हैं। इस बिज़नेस की खास बात यह है की आपको जो भी चैलेंज आने वाला है पहले ही पता चल जाता है और परिणाम भी। नेटवर्क मार्केटिंग कम्पनी आज के समय की जरुरत है क्यूंकि आपको पता है जॉब की मारामारी और यदि आपका कैसे करके लग भी जाये तो बॉस जीना हराम कर देता है। तो यदि आपको समय की आजादी और पैसे की आजादी चाहिए तो आपको अपना नेटवर्क बनाना पड़ेगा। और नेटवर्क बनाने के लिए आपको सीखना पड़ेगा। चेतावनी -एक महत्वपूर्ण बात इसमें भी और बिज़नेस की तरह ट्रेनिंग की जरुरत होती है और उसके बाद भी अन्य व्यवसाय के तरह ही कोई गरंटी नहीं होती है की आप सफल हो ही जाएँ। स्कोप इन इंडिया -अगर मैं भारत में बात करें तो बहुत कम लोग नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी में जुड़े है अगर एक सर्वे के अनुसार और एक किताब में छपे लेख के अनुसार भार

विज्युलाइजेशन से वजन घटाया

आप इसे विज्युलाइजेशन  दौरान जब आप अल्फा लेवल पर जाकर यह स्क्रिप्ट जो निचे दिया जा रहा है उसे आप मन में दोहराएं। विज्युलेशन बहुत ही प्रभावकारी होता है। आप विज्युलाइजेशन  सुबह या शाम में कर सकते हैं। या फिर आप सफर के दौरान भी कर सकते हैं। आज विज्युलाइजेशन वजन घटाने के लिए है। मेरे सामने आइना है। आईने में,मैं दीखता हूँ। वाह ! वाह ! वाह ! किसी कितने आश्चर्य की बात है। किसी समय  मानना था की मेरा वजन घट नहीं सकता है लेकिन आज वास्तविकता मेरे सामने है ,उपयुक्त वजन के साथ मेरा शरीर आईने में दिख रहा है। पेट ,कमर, कंधे ये सभी जितने होने चाहिए थे एक सामन्य वजन के मुताबिक ही हैं। मैं अपने पैरों के निचे वजन का कांटा देख सकता हूँ मेरा वजन उतना ही दिखाई दे रहा है जितना मेरे उम्र और आयु के हिसाब से होना चाहिए था।  वजन तोलने की मशीन में कांटा स्पष्ट दिखाई दे रहा है। ( कुछ समय के बाद ) मैं अपने काम में व्यस्त हूँ ,मेरा काम बहुत स्फूर्ति से कर रहा हूँ। शीघ्रता से और स्फूर्ति से काम करने में आनंद आ रहा है। मेरा शरीर बिलकुल नया और बिलकुल हल्का महसूस हो रहा है। मेरा वजन कम होने से काम की गति भी बढ़ ग

अजीम प्रेम जी विप्रो संस्थपक एशिया के सबसे बड़े दानवीर

अजीम प्रेमजी विप्रो संस्थपक  एशिया के सबसे बड़े दानवीर  ने दान किए 52,750 करोड़ भारत सरकार ने जब कोरोना से युद्ध लड़ने के लिए मदद मांगी तो उन्हों ने दान किए 52,750 करोड़ रुपये, अब तक 145,000 करोड़ दान दे चुके हैं , अजीम प्रेमजी  जन्म 25 जुलाई 1945 में करांची में हुआ था। उनको १९६६ में कैलिफोर्निआ की स्टैण्डर्ड यूनिवर्सिटी  कम्प्यूटर की पढाई  छोड़कर भारत लौटना पड़ा। उनके पिताजी ने उन्हें 7 करोड़ की कंपनी विरासत में दी थी ,जो वनस्पति घी ,और कपडे धोने का साबुन बना रही थी।  21 साल की उम्र में प्रेमजी को बिलकुल अनुभव नहीं था ,वो खुद भी साक्षात्कार में  -मैं इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं था। मेरे पास एक ही स्वप्न था की मुझे एक बड़ी कंपनी बनानी है। उन्होंने अपने घी, तेल साबुन बनाने  व्यवसाय में वृद्धि की साथ ही एक बड़ी कम्पनी बनाने का सपने के साथ 1980 में आई टी क्षेत्र में प्रवेश किया। 1991 में उनको जब्बरदस्त मौका मिला। भारत सर्कार ने अमेरिका की आई बी ऍम कम्पनी भारत में व्यापार करने पर प्रतिबन्ध रख दिया। एक बिज़नेस मैन नाते अजीमप्रेम जी यह मौका हाथ से गवाना नहीं चाहते थे। उनको पता था की