ब्रायन ट्रेसी का जन्म 5 जनवरी 1944 एक कनाडाई-अमरीकन आत्म-विस्वास और प्रेरक सार्वजानिक वक्ता और लेखक है वह सत्तर से अधिक पुष्तकों के लेखक हैं ,जिनका दर्जनों भाषाओँ में अनुवाद किया गया है। उनकी लोकप्रिय पुस्तकें ,अर्न व्हाट यू आर रियली ,इट दैट फ्रॉग! और द साइकोलॉजी ऑफ़ अचीवमेंट है आइये इनके मोटिवेशनल विचारों को जानते हैं।-ब्रायन ट्रेसी के मोटिवेशनल कोट्स 1 जिंदगी में कॉम्बिनेशन लॉक जैसी जैसी होती है ,बस इसमें अंक ज्यादा होते हैं। अगर आप सही क्रम में सही नंबर घुमाएंगे तो ताला खुल जायेगा। ब्रायन ट्रेसी मैंने पाया है की भाग्य की भविष्यवाणी की जा सकती है। यदि आप अधिक भाग्य चाहते हैं ,तो ज्यादा जोखिम लें। ज्यादा सक्रीय बनें। ज्यादा बार नजर में आएं। ब्रायन ट्रेसी यहाँ नौकरी के क्षेत्र में सफलता पाने का तीन हिस्सों का सरल फार्मूला बताया जा रहा है : थोड़ी जल्दी आएं ,थोड़ी ज्यादा मेहनत से काम करें और थोड़ी ज्यादा देर तक ऑफिस में रुकें। इस फॉर्मूले का पालन करने पर आप अपने प्रर्तिस्पर्धाओं से आगे निकल जाएंगे की वे आपकी बराबरी नहीं कर पाएंगे। ब्रायन ट्रेसी सेल्सपर्सन ,उद्दमी य
निरमा वाशिंग पाउडर की सफलता की कहानी -करसनभाई पटेल
निरमा वाशिंग पाउडर जैसी लोकप्रिय ब्रांड के सर्जक करसन भाई पटेल का जन्म 1945 में गुजरात के महेसाणा जिले के रूपपुर गाँव में हुआ था। किसान परिवार के करसन भाई पटेल रसायन के विषय में बीएससी करने के बाद लाल भाई ग्रुप की न्यू कॉटन मिल्स में लैब टेक्निसियन के रूप में नौकरी की। 1961 में वे सरकार के खनिज और भू-स्तर विभाग से भी जुड़े।
करसनभाई पटेल भू- विभाग से शेष समय अपने घर में अपने रसायन के ज्ञान का इस्तेमाल करके डिटर्जेंट पाउडर बनाना सुरु किया। पाउडर को पैक करके अपनी पुत्री के नाम से निरमा ब्रांड का वाशिंग पाउडर बेचना सुरु किया। घर में पाउडर बनाना और उसे प्लास्टिक में पैक करना और उसे साइकिल से निकल जाते थे उसे बेचने के लिए। ये सभी काम वो नौकरी करने के बाद बचे समय में करते थे।
बाजार में सिर्फ सर्फ वासिंग पाउडर 9 रुपये प्रति किलो के दाम से बिकता था तब वे निरमा वासिंग पाउडर सिर्फ तीन रुपये प्रति किलो के भाव से बेचने लगे। उनका वाशिंग पाउडर दाम कम होने के साथ असरदार था। इसलिए वे वासिंग पाउडर की जितने भी थैलियां बनाते थे सभी बिक जाती थी। एक बार पप्रयोग करने के बाद गृहणियां बाद में और मांगती थी दुबारा खुद से।
कुछ समय में ही करसन भाई को विस्वास हो गया की उनका पाउडर चलेगा जरूर। इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर अहमदाबाद में फैक्ट्री और दूकान के लिए जगह प्राप्त करने का निर्णय किया। पिता के जब्बरदस्त विरोध के बाद भी करसनभाई पटेल ने अपने पिता के शब्दों में पागलपन कहलाने जाने वाला सहस सुरु किया था। यहाँ पर भी आरम्भ साइकिल से ही हुआ था।
करसनभाई पटेल ने अपने रसायन के ज्ञान को काम में लगाकर खोज लिया की अलग-अलग विस्तार में पानी की खराश के मुताबिक पाउडर के रसयानों को बदल कर ही उसे अधिक असरदार बनाया जा सकता है।
इसलिए उन्होंने हर राज्य और क्षेत्र के लिए अलग-अलग फार्मूला बनाया। गुजरात का पाउडर महाराष्ट्र में बेचेंगे तो कपडे उतने अच्छे नहीं धुलेंगे ,इसलिए हर राज्य के पाउडर का स्टॉक बड़े ध्यान से अलग रखा जाता था।
देखते-देखते करसनभाई पटेल का निरमा पाउडर सबसे अच्छे सर्फ पाउडर से भी अधिक बिकने लगा। बस इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कम मुनाफा ,ज्यादा व्यापार ,उत्तम क़्वालिटी और ग्राहकों की जरुरत की समझ-यह तीन सिद्धांत करसनभाई पटेल की सफलता के मुख्य कारण हैं।
आज निरमा 350 करोड़ की कंपनी है,वह अनेक उत्पादों को बनाती है और निरमा युनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नॉलजी भी चलाती है।
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