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Showing posts from April 16, 2018

-ब्रायन ट्रेसी के मोटिवेशनल कोट्स

ब्रायन ट्रेसी का जन्म 5 जनवरी 1944 एक कनाडाई-अमरीकन आत्म-विस्वास और प्रेरक सार्वजानिक वक्ता और लेखक है वह सत्तर से अधिक पुष्तकों के लेखक हैं ,जिनका दर्जनों भाषाओँ में अनुवाद किया गया है। उनकी लोकप्रिय पुस्तकें ,अर्न व्हाट यू आर रियली ,इट दैट फ्रॉग! और द साइकोलॉजी ऑफ़ अचीवमेंट है आइये इनके मोटिवेशनल विचारों को जानते हैं।-ब्रायन ट्रेसी के  मोटिवेशनल कोट्स 1 जिंदगी में कॉम्बिनेशन लॉक जैसी जैसी होती है ,बस इसमें अंक ज्यादा होते हैं। अगर आप सही क्रम में सही नंबर घुमाएंगे तो ताला खुल जायेगा। ब्रायन ट्रेसी मैंने पाया है की भाग्य की भविष्यवाणी की जा सकती है। यदि आप अधिक भाग्य चाहते हैं ,तो ज्यादा जोखिम लें। ज्यादा सक्रीय बनें। ज्यादा बार नजर में आएं। ब्रायन ट्रेसी यहाँ नौकरी के क्षेत्र में सफलता पाने का तीन हिस्सों का सरल फार्मूला बताया जा रहा है : थोड़ी जल्दी आएं ,थोड़ी ज्यादा मेहनत से काम करें और थोड़ी ज्यादा देर तक ऑफिस में रुकें। इस फॉर्मूले का पालन करने पर आप अपने प्रर्तिस्पर्धाओं से आगे निकल जाएंगे की वे आपकी बराबरी नहीं कर पाएंगे। ब्रायन ट्रेसी सेल्सप...

अर्धजाग्रत मन का प्रोग्रामिंग किस उम्र में हो सकता है ?

अर्धजाग्रत मन का प्रोग्रामिंग किस उम्र में हो सकता है ? गर्भधारण के पहले  बच्चा माँ के पेट में आये  उससे पहले भी प्रोग्रामिंग हो सकती है। अगर पति-पत्नी साथ में बैठकर अपने आने वाले बच्चे के बारे में मानचित्रण  करे और उसके बाद गर्भधारण हो तो बच्चा बिलकुल वैसा होता है जैसा मनोचित्रण किया गया हो। गर्भ में गर्भधारण के दौरान बच्चे की बहुत अच्छी प्रोग्रामिंग हो सकती है। माँ के पेट में बच्चा सुन सकता है। उदाहरण के तौर पर महाभारत के अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की चक्रभवयु की बात। माँ के गर्भ में अर्धजाग्रत मन की प्रोग्रामिंग हो सकती है। पालने में  प्रोग्रामिंग तब भी हो सकती है जब बच्चा पालने में होता है। छत्रपति शिवाजी इसका सर्वश्रेठ उदहारण हैं , जिसमें उनकी माता जीजाबाई ने पालने में लोरी गाते समय राम- लक्षमण के बहादुरी का वर्णन करती थी जिससे एक महान  योद्धा  बनने की प्रोग्रामिंग का इतिहास साक्षी है। हम भी अपने बच्चों को बचपन में ही एक अच्छे नागरिक बनने की प्रोग्रामिंग करके उन्हें शिवाजी और अभिमन्यु की तरह पराक्रमी बना सकते हैं। हम आये दिन देखते...

महिलाओं को पुरुषों की कौन सी बात पसंद नहीं आती ?

महिलाओं को पुरुषों की कौन सी बात पसंद नहीं आती ? पुरुषों को यह याद रखना चाहिए की महिलाएं दूसरे ग्रह से आई हैं और इसलिए जब वे समस्याओं के बारे में बात करती हैं तो समाधान नहीं , हमदर्दी चाहिए। निचे कुछ वाक्य दिए गए हैं जो महिलाएं ना पसंद करती हैं। तुम्हें इतनी चिंता नहीं करनी चाहिए।  परन्तु मैंने ऐसा तो नहीं कह रहा था।  यह कोई इतनी बड़ी बात नहीं है।  ओके , आई एम सॉरी। अब भूल भी जाओ।  तुम इस काम को कर क्यों नहीं देती ? परन्तु हम बातें तो करते हैं।  तुम्हें चोट क्यों पहुंची , मेरे कहने यह मतलब नहीं था।  तो तुम कहना क्या कहना चाहती हो ? परन्तु तुम्हें इस तरह नहीं सोंचना चाहिए।  तुम ऐसा कैसे कह सकती हो ? अभी पिछले हफ्ते ही तो मैंने तुम्हारे साथ पूरा दिन गुजारा था। हमें कितना मजा आया था।  ओके , तो अब बात को यहीं खत्म कर दें।  अच्छा बाबा , मैं आगँन साफ़ कर दूंगा। अब तो खुश ? मैं समझ गया। तुम्हें यह करना चाहिए....... देखो , हम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते।  जो हुआ वह यह नहीं था।  हमें बस यही करना है की........ ...

पुरुष मंगल ग्रह से आये हैं , महिलाएं शुक्र ग्रह से आई हैं।

पुरुष मंगल ग्रह से आये हैं , महिलाएं शुक्र ग्रह से आई हैं। कल्पना कीजिये की पुरुष मंगल ग्रह से आये हैं और महिलाएं शुक्र ग्रह से। बहुत पहले बात है। एक दिन मंगल ग्रह के पुरुष अपनी दूरबीन से अंतरिक्ष में देख रहे थे। तभी उन्हें शुक्र ग्रह पर महिलाएं दिखी। सिर्फ उनकी एक झलक ने ही मंगल ग्रह के परुषों को मोहित कर दिया।  उन्हें पहली नजर में प्यार हो गया और वे तत्काल अंतरिक्ष यान बनाकर शुक्र ग्रह की तरफ चल पड़े। शुक्र ग्रह की महिलाओं ने मंगल ग्रह के परुषों का बाँहें फैलाकर स्वागत किया। वे सहज अनुभूति से जानती थीं की ऐसा दिन आएगा जब मंगल ग्रह के पुरुष उनके ग्रह पर आएंगे। उनके दिल में ऐसा प्रेम उमड़ रहा था जो उन्हें इससे पहले कभी महसूस नहीं हुआ था। मंगल ग्रह के पुरुषों और शुक्र ग्रह की महिलाओं का प्रेम जादुई था। उन्हें साथ रहने में आनंद आता था , साथ-साथ में काम करना अच्छा लगता था और एक दूसरे से बातें करते-करते नहीं थकते थे। हालाँकि वे अलग-अलग ग्रह के थे परन्तु आपसी भिन्नताओं के कारन उनका आनंद  बढ़ गया था।  उन्होंने एक-दूसरे को जानने , सिखने और समझने में महीनों लगा दिए। ताकि व...

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नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी

आज 21 वी सदी का सबसे क्रन्तिकारी तरीका है नेटवर्क मार्केटिंग है। लेकिन लोगों के मन में बहुत से सवाल होते हैं इन कंपनियों को लेकर। लेकिन मैं आपको बता देना चाहता हूँ की सच में नेटवर्क मार्केटिंग एक बहुत ही शानदार और बिज़नेस की तरह ही है जिसे आप बहुत कम इन्वेस्टमेंट के साथ शुरुआत कर सकते हैं। इस बिज़नेस की खास बात यह है की आपको जो भी चैलेंज आने वाला है पहले ही पता चल जाता है और परिणाम भी। नेटवर्क मार्केटिंग कम्पनी आज के समय की जरुरत है क्यूंकि आपको पता है जॉब की मारामारी और यदि आपका कैसे करके लग भी जाये तो बॉस जीना हराम कर देता है। तो यदि आपको समय की आजादी और पैसे की आजादी चाहिए तो आपको अपना नेटवर्क बनाना पड़ेगा। और नेटवर्क बनाने के लिए आपको सीखना पड़ेगा। चेतावनी -एक महत्वपूर्ण बात इसमें भी और बिज़नेस की तरह ट्रेनिंग की जरुरत होती है और उसके बाद भी अन्य व्यवसाय के तरह ही कोई गरंटी नहीं होती है की आप सफल हो ही जाएँ। स्कोप इन इंडिया -अगर मैं भारत में बात करें तो बहुत कम लोग नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी में जुड़े है अगर एक सर्वे के अनुसार और एक किताब में छपे लेख के अनुसार भार...

4 BASIC STEPS

हे भगवान्  मैं नेटवर्कर नहीं बनना नहीं चाहता था। लेकिन थैंक्स गॉड मैं नेटवर्कर बन गया क्यूंकि मैं आज मेरे पास सकरात्मक विचार है ,मानशिक शांति है ,स्वास्थ्य है ,सम्मान है ,पहचान है और पैसा भी। मैंने  जितने भी नेटवर्कर को देखा है सभी सफल नेटवर्कर धन-संपत्ति को सबसे अंत में रखते हैं अपने सभी उपलब्धियों में , क्यों रखते थे मुझे शुरुआत में पता नहीं चलता था क्यूंकि मुझे तो लगता था पैसा ही सबसे मत्वपूर्ण होता है पर आज मैं जिस मुकाम पे हूँ मुझे लगता है अगर आपके पास सेल्स के बारे आपके पास उचित ज्ञान हो तो आपके लिए भी यहाँ सफलता पाना बहुत आसान हो जायेगा और आप हमारी बात से सहमत हो जायेंगे।  अगर गाना एक कला है ,नाचना एक कला है ,अभिनय एक कला है उसी तरह बेचना भी एक कला है और सभी अन्य कलाओं की तरह भी।  अगर आपने गाना सीखा नहीं क्या आप गा सकते हैं ? आपने नाचना सीखा नहीं क्या आप नाच सकते हैं तो बिना सीखे आप बेच कैसे सकते हैं ,आपको कुछ भी बेचने के लिए सीखना पड़ेगा।  अब वैसे भी नेटवर्किंग सेक्टर में सफलता पाना पहले की उपेक्षा बहुत आसान हो गया है क्यूंकि आज के समय...

मुनिश्री तरुणसागर जी के कड़वे प्रवचन

एक सेठ बीमार बीमार था। दवा खाने के बाद भी ठीक नहीं हो रहा था। आखिर वह हकीम लुकमान से मिला। लुकमान ने कुछ गोलिया दी और कहा -इन्हें तीन बार अपने माथे के पसीने में पिघलकर खा लेना। सेठ कुछ ही दिनों में ठीक हो गया। शिष्य ने कहा- गुरुदेव ! बड़ी चमत्कारी दवा है। लुकमान हँसा और बोला - दवा क्या उपलों की राख थी। पर उसे तीन बार माथे पर पसीने लेन के लिए बड़ी मेहनत  करनी पड़ी होगी। यह चमत्कार उसी पसीने का है। सच्ची नींद और स्वाद चाइये तो पसीना बहाना मत भूलना। जिंदगी में तीन चीजों का अर्जन जरूर करें। बचपन में ज्ञान का , जवानी में संपत्ति का और बुढ़ापे में पुण्य का। बचपन अध्यन के  बुढ़ापा आत्म-चिंतन के लिए है। किसी छात्र ने पूछा कितने घंटे पढ़ना चाहिए ? जिस क्लास  में हैं ,स्कूल के अलावा उतने ही घंटे ,10 वी में हों तो 10 घंटे और 12 वी  12 घंटे। अगर आप तरुणसागर का कहा मानें तो मैं आपसे एक निवेदन करना चाहूंगा की अपने मित्र,चरित्र को हमेसा रखें पवित्र क्यूंकि यही है जिंदगी का असली इत्र। आपको पता है की चरित्र के पतन में प्रायः गलत मित्रों और गलत चित्रों का हाथ होता है। गलत म...