ब्रायन ट्रेसी का जन्म 5 जनवरी 1944 एक कनाडाई-अमरीकन आत्म-विस्वास और प्रेरक सार्वजानिक वक्ता और लेखक है वह सत्तर से अधिक पुष्तकों के लेखक हैं ,जिनका दर्जनों भाषाओँ में अनुवाद किया गया है। उनकी लोकप्रिय पुस्तकें ,अर्न व्हाट यू आर रियली ,इट दैट फ्रॉग! और द साइकोलॉजी ऑफ़ अचीवमेंट है आइये इनके मोटिवेशनल विचारों को जानते हैं।-ब्रायन ट्रेसी के मोटिवेशनल कोट्स 1 जिंदगी में कॉम्बिनेशन लॉक जैसी जैसी होती है ,बस इसमें अंक ज्यादा होते हैं। अगर आप सही क्रम में सही नंबर घुमाएंगे तो ताला खुल जायेगा। ब्रायन ट्रेसी मैंने पाया है की भाग्य की भविष्यवाणी की जा सकती है। यदि आप अधिक भाग्य चाहते हैं ,तो ज्यादा जोखिम लें। ज्यादा सक्रीय बनें। ज्यादा बार नजर में आएं। ब्रायन ट्रेसी यहाँ नौकरी के क्षेत्र में सफलता पाने का तीन हिस्सों का सरल फार्मूला बताया जा रहा है : थोड़ी जल्दी आएं ,थोड़ी ज्यादा मेहनत से काम करें और थोड़ी ज्यादा देर तक ऑफिस में रुकें। इस फॉर्मूले का पालन करने पर आप अपने प्रर्तिस्पर्धाओं से आगे निकल जाएंगे की वे आपकी बराबरी नहीं कर पाएंगे। ब्रायन ट्रेसी सेल्सपर्सन ,उद्दमी य
अजीम प्रेमजी विप्रो संस्थपक एशिया के सबसे बड़े दानवीर ने दान किए 52,750 करोड़
भारत सरकार ने जब कोरोना से युद्ध लड़ने के लिए मदद मांगी तो उन्हों ने दान किए 52,750 करोड़ रुपये, अब तक 145,000 करोड़ दान दे चुके हैं ,
अजीम प्रेमजी जन्म 25 जुलाई 1945 में करांची में हुआ था। उनको १९६६ में कैलिफोर्निआ की स्टैण्डर्ड यूनिवर्सिटी कम्प्यूटर की पढाई छोड़कर भारत लौटना पड़ा। उनके पिताजी ने उन्हें 7 करोड़ की कंपनी विरासत में दी थी ,जो वनस्पति घी ,और कपडे धोने का साबुन बना रही थी।
21 साल की उम्र में प्रेमजी को बिलकुल अनुभव नहीं था ,वो खुद भी साक्षात्कार में -मैं इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं था। मेरे पास एक ही स्वप्न था की मुझे एक बड़ी कंपनी बनानी है।उन्होंने अपने घी, तेल साबुन बनाने व्यवसाय में वृद्धि की साथ ही एक बड़ी कम्पनी बनाने का सपने के साथ 1980 में आई टी क्षेत्र में प्रवेश किया।
1991 में उनको जब्बरदस्त मौका मिला। भारत सर्कार ने अमेरिका की आई बी ऍम कम्पनी भारत में व्यापार करने पर प्रतिबन्ध रख दिया। एक बिज़नेस मैन नाते अजीमप्रेम जी यह मौका हाथ से गवाना नहीं चाहते थे।
उनको पता था की आई बी एम के जाने के बाद भारत में आई टी क्षेत्र में बहुत बड़ी संभावनाएं हैं। उनको विप्रो कम्पनी नाम से हार्डवेयर सॉफ्टवेयर बनाना सुरु किया। उस समय भारत में बहुत कम कंपनियां कार्यकर्त थी,लेकिन अजीम प्रेमजी की दूरदर्शिता ने यह कामयाबी दिलाई।
अजीम प्रेमजी की शादी अदिति के साथ हुई है।
अजीम प्रेमजी ने अपने व्यवसाय का प्रसार करने के वैश्वीकरण की निति अपनाकर दूसरी कंपनियों को खरीदकर अपनी स्थिति मजबूत बनाई।
आई टी के बाद आई पि ओ क्षेत्र संभावनाएं परखकर ,उसमें भी अपना नसीब आजमाया। आजकल विप्रो कई अमेरिकन और यूरोपियन कंपनियों की आधारशिला है।
विप्रो में 27000 से भी ज्यादा लोग काम करते हैं। उनकी कम्पनी का सिद्धांत है रिश्वत लेनी नहीं और देनी भी नहीं है।
अजीम प्रेमजी को पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
उनका जीवन का मूलमंत्र है सिर्फ देश में नहीं बल्कि विश्व में सर्वश्रेष्ठ बनिए। उन्होंने विप्रो को 1.5 मिलियन डॉलर की कम्पनी बना दी।
अजीम प्रेमजी फाउंडेशन एजुकेशन के कई क्षेत्र में काम करते हैं। उन्हें ऐसा का सबसे बड़ा दानवीर कहा जाता है।
अजीम प्रेमजी ने दान किए 52,750 करोड़ रुपये, अब तक 145,000 करोड़ रुपये कर चुके हैं दान
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