ब्रायन ट्रेसी का जन्म 5 जनवरी 1944 एक कनाडाई-अमरीकन आत्म-विस्वास और प्रेरक सार्वजानिक वक्ता और लेखक है वह सत्तर से अधिक पुष्तकों के लेखक हैं ,जिनका दर्जनों भाषाओँ में अनुवाद किया गया है। उनकी लोकप्रिय पुस्तकें ,अर्न व्हाट यू आर रियली ,इट दैट फ्रॉग! और द साइकोलॉजी ऑफ़ अचीवमेंट है आइये इनके मोटिवेशनल विचारों को जानते हैं।-ब्रायन ट्रेसी के मोटिवेशनल कोट्स 1 जिंदगी में कॉम्बिनेशन लॉक जैसी जैसी होती है ,बस इसमें अंक ज्यादा होते हैं। अगर आप सही क्रम में सही नंबर घुमाएंगे तो ताला खुल जायेगा। ब्रायन ट्रेसी मैंने पाया है की भाग्य की भविष्यवाणी की जा सकती है। यदि आप अधिक भाग्य चाहते हैं ,तो ज्यादा जोखिम लें। ज्यादा सक्रीय बनें। ज्यादा बार नजर में आएं। ब्रायन ट्रेसी यहाँ नौकरी के क्षेत्र में सफलता पाने का तीन हिस्सों का सरल फार्मूला बताया जा रहा है : थोड़ी जल्दी आएं ,थोड़ी ज्यादा मेहनत से काम करें और थोड़ी ज्यादा देर तक ऑफिस में रुकें। इस फॉर्मूले का पालन करने पर आप अपने प्रर्तिस्पर्धाओं से आगे निकल जाएंगे की वे आपकी बराबरी नहीं कर पाएंगे। ब्रायन ट्रेसी सेल्सपर्सन ,उद्दमी य
किसी जंगल में एक शिकारी जा रहा था। रस्ते में घोड़े पे सवार एक राजकुमार उसको मिला। वह भी उसके साथ चल पड़ा। आगे उनको एक तपस्वी और एक साधु मिले। वे दोनों भी साथ चल दिए चारों आदमी जंगल से जा रहे थे, आगे उनको एक कुटिया दिखाई दी। उसमें बूढ़े बाबा जी बैठे हुए थे। चारों आदमी कुटिया के अंदर गए और बाबा जी को चारों ने प्रणाम किया। बाबा जी ने उन चारों को आशीर्वाद दिया।
बाबाजी ने राजकुमार से कहा-राजपुत्र तुम चिरंजीवी रहो। तपस्वी से कहा-तुम मत जियो। साधु से कहा-तुम चाहे जियो या मरो। बाबाजी चारों को आशीर्वाद देकर चुप हो गए। चारों आदमियों को बाबाजी का आशीर्वाद समझ में नहीं आया। उन्होंने प्रार्थना किया की कृपा करके अपने आशीर्वाद का मतलब समझाएं।
बाबाजी बोले- मनुष्य पहले तप करता है तो राजा बनता है लेकिन राजा बनने के बाद भी राजा को भी मरने के बाद नरक भोगने पडते हैं उनके कर्मों के कारण तो इसलिए मैंने आपको कहा की आप चिरंजीवी रहो अर्थात जबतक आप जीते रहेंगे सुख से रहेंगे।
तपश्या करने वाला जब तक जीता रहेगा अपने शरीर को कस्ट देता रहेगा। वह यदि मर जाता है तो तपश्या के प्रभाव से वो स्वर्ग जायेगा अथवा वो राजा बनेगा तभी मैंने कहा - मर जा। जिस से तुझे सुख मिले।
साधु जीता रहेगा तो भजन-स्मरण करेगा ,दूसरों का उपकार करेगा और मर जायेगा तो भगवान की शरण में जायेगा। वह जीता रहे तो आनंद और मर जाये तो आनदं है। इसलिए मैंने आशीर्वाद दिया चाहे जियो या मरो ,तुम्हारी मर्जी।
शिकारी दिनभर जीवों को मरता है वह जियेगा तो जीवों को मरेगा और मरेगा तो नरक में जायेगा। इसलिए मैंने कहा-न तुम जियो न मरो।
मनुष्य को अपना जीवन ऐसे जीना चाहिए जीते जी भी मौज रहे और मरने के बाद भी मौज रहे। साधु बनना है पर उसके लिए आपको साधु का वेश धारण करने की जरुरत नहीं। गृहस्त रहकर भी साधु बना जा सकता है।
अपना काम करते हुए भजन-स्मरण करें तथा दूसरों की निस्वार्थ सेवा भी बहुत आनंद देता है।
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