ब्रायन ट्रेसी का जन्म 5 जनवरी 1944 एक कनाडाई-अमरीकन आत्म-विस्वास और प्रेरक सार्वजानिक वक्ता और लेखक है वह सत्तर से अधिक पुष्तकों के लेखक हैं ,जिनका दर्जनों भाषाओँ में अनुवाद किया गया है। उनकी लोकप्रिय पुस्तकें ,अर्न व्हाट यू आर रियली ,इट दैट फ्रॉग! और द साइकोलॉजी ऑफ़ अचीवमेंट है आइये इनके मोटिवेशनल विचारों को जानते हैं।-ब्रायन ट्रेसी के मोटिवेशनल कोट्स 1 जिंदगी में कॉम्बिनेशन लॉक जैसी जैसी होती है ,बस इसमें अंक ज्यादा होते हैं। अगर आप सही क्रम में सही नंबर घुमाएंगे तो ताला खुल जायेगा। ब्रायन ट्रेसी मैंने पाया है की भाग्य की भविष्यवाणी की जा सकती है। यदि आप अधिक भाग्य चाहते हैं ,तो ज्यादा जोखिम लें। ज्यादा सक्रीय बनें। ज्यादा बार नजर में आएं। ब्रायन ट्रेसी यहाँ नौकरी के क्षेत्र में सफलता पाने का तीन हिस्सों का सरल फार्मूला बताया जा रहा है : थोड़ी जल्दी आएं ,थोड़ी ज्यादा मेहनत से काम करें और थोड़ी ज्यादा देर तक ऑफिस में रुकें। इस फॉर्मूले का पालन करने पर आप अपने प्रर्तिस्पर्धाओं से आगे निकल जाएंगे की वे आपकी बराबरी नहीं कर पाएंगे। ब्रायन ट्रेसी सेल्सपर्सन ,उद्दमी य
अंजानी राहों पर वीर ही आगे चला करते हैं , कायर तो परिचित राह पर ही तलवार चमकाते रहते हैं।
दोस्तों ये कहना था नेपोलियन बोनापार्ट का और आज के पोस्ट में मैं आपको उनकी ही कहानी कहने जा रहा हूँ।
तकलीफें हम सभी की जिंदगी में आती है उनमें से कुछ लोग तकलीफ का मुकाबला करते हैं और कुछ लोग हार मान लेते हैं लेकिन क्या कोई ऐसा है की किसी की जिंदगी में तकलीफें नहीं आती है , तो क्या हम तकलीफों से हम हार मान लें। नपोलियन बोनापार्ट की एक छोटी सी कहानी शायद आपके हौसलों को बुलंद कर दे ,आपकी जिंदगी जोश से भर दे ताकि अगर आपके जिंदगी में कोई मुसीबत आये तरो आप उसका सामना डटकर करें। आपने ने नेपोलियन बोनपार्ट का नाम तो सुना ही होगा , नेपोलियन फ़्रांस का बहादुर ,निडर और महान शासक था , जिसको इतिहास के पन्नों में संसार ने एक विजेता एक महान सेनापति के रूप में दर्ज किया है नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 15 अगस्त 1969 में ajaccio नाम की जगह पर हुआ था पिता का नाम था करलो बोनापार्ट और माँ का नाम था लेडीजी रमियोलिओ। नेपोलियन बोनापार्ट का विवाह मेरी लुइस से हुआ था। नेपोलियन बोनापार्ट का कहना था की असंभव सब्द सिर्फ मूर्खों की सब्कोष में पाया जाता है। नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने जीवन में कई असंभव काम करके दिखया था नेपोलियन बोनापार्ट को जोखिम भरे काम करना अच्छा लगता था
एक समय की बात है की नेपोलियन बोनापार्ट को किसी युद्ध को करने के लिए आल्पस पहाड़ को पार करके जाना था। नेपोलियन बोनापार्ट के सिपाहियों ने आल्पस पहाड़ की ऊंचाई और और कठिन रास्तों के बारे में सुना था और सबको ये मालूम था की आल्पस पहाड़ को पार करना नामुमकिन है। जब नेपोलियन युद्ध के लिए निकला तो रास्ते में एक बुजुर्ग औरत मिली और उसने नेपोलियन बोनापार्ट से कहा की अपने सैनिकों को लेकर वापस लौट जाए क्यूंकि आजतक जिसने भी आल्पस पहाड़ को पार करने की कोसिस की है वो जिन्दा नहीं बचा है। यह सुनकर नेपोलियन बोनापार्ट के सैनिक और भी ज्यादा दर गए. लेकिन बोनापार्ट इस बात से डरा नहीं और बोनापार्ट ने उस बुजुर्ग महिला को अपना कीमती हीरों का हार भेंट में दिया और कहा की मुझे जोखिम भरा काम करना पसंद है।तब उस बुज़ुर्ग महिला ने नेपोलियन बोनपार्ट को आशीर्वाद दिया की वो कामयाब होकर लौटे ।
बुज़ुर्ग महिला की बात को सुनकर सैनिक और ज़्यादा भयभीत हो गये और आगे चलने से इंकार करने लगे तब नेपोलियन बोनपार्ट ने कहा तुम में से किसी ने अल्पस पहाड़ी को देखा है ? तो सभी सैनिक का उत्तर नहीं था , तब बोनपार्ट ने कहा - ऐसा करते हैं हम धीरे धीरे आगे बड़ते हैं और जब अल्पस पहाड़ी आए तो बता देना हम आगे नहीं जाएँगे । यह सुनकर सभी सैनिकों ने सहमति जताई और वो सभी आगे बड़े । पर एक- एक कर वो पहाड़ी को पार करते चले गए और उनलोगों को पता भी नहीं चला की कब वो लोग अल्पस पहाड़ी को पार करके एक खुले मैदान में पहुँच गए , और जब नेपोलियन बोनपार्ट ने सैनिकों को बताया की वो अल्पस पहाड़ी को पार कर लिया है तो सभी सैनिकों में एक जोश की लहर दौड़ पड़ी और वो सभी मिलकर ये युद्ध भी जीत लिया ।
दोस्तों इस वीर की कहानी से हमें सिख मिलती है की कभी हार नहीं माननी नहीं चाइए चाहे मुश्किल कितनी भी बड़ी क्यूँ ना हो ।
दोस्तों ये कहना था नेपोलियन बोनापार्ट का और आज के पोस्ट में मैं आपको उनकी ही कहानी कहने जा रहा हूँ।
तकलीफें हम सभी की जिंदगी में आती है उनमें से कुछ लोग तकलीफ का मुकाबला करते हैं और कुछ लोग हार मान लेते हैं लेकिन क्या कोई ऐसा है की किसी की जिंदगी में तकलीफें नहीं आती है , तो क्या हम तकलीफों से हम हार मान लें। नपोलियन बोनापार्ट की एक छोटी सी कहानी शायद आपके हौसलों को बुलंद कर दे ,आपकी जिंदगी जोश से भर दे ताकि अगर आपके जिंदगी में कोई मुसीबत आये तरो आप उसका सामना डटकर करें। आपने ने नेपोलियन बोनपार्ट का नाम तो सुना ही होगा , नेपोलियन फ़्रांस का बहादुर ,निडर और महान शासक था , जिसको इतिहास के पन्नों में संसार ने एक विजेता एक महान सेनापति के रूप में दर्ज किया है नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 15 अगस्त 1969 में ajaccio नाम की जगह पर हुआ था पिता का नाम था करलो बोनापार्ट और माँ का नाम था लेडीजी रमियोलिओ। नेपोलियन बोनापार्ट का विवाह मेरी लुइस से हुआ था। नेपोलियन बोनापार्ट का कहना था की असंभव सब्द सिर्फ मूर्खों की सब्कोष में पाया जाता है। नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने जीवन में कई असंभव काम करके दिखया था नेपोलियन बोनापार्ट को जोखिम भरे काम करना अच्छा लगता था
एक समय की बात है की नेपोलियन बोनापार्ट को किसी युद्ध को करने के लिए आल्पस पहाड़ को पार करके जाना था। नेपोलियन बोनापार्ट के सिपाहियों ने आल्पस पहाड़ की ऊंचाई और और कठिन रास्तों के बारे में सुना था और सबको ये मालूम था की आल्पस पहाड़ को पार करना नामुमकिन है। जब नेपोलियन युद्ध के लिए निकला तो रास्ते में एक बुजुर्ग औरत मिली और उसने नेपोलियन बोनापार्ट से कहा की अपने सैनिकों को लेकर वापस लौट जाए क्यूंकि आजतक जिसने भी आल्पस पहाड़ को पार करने की कोसिस की है वो जिन्दा नहीं बचा है। यह सुनकर नेपोलियन बोनापार्ट के सैनिक और भी ज्यादा दर गए. लेकिन बोनापार्ट इस बात से डरा नहीं और बोनापार्ट ने उस बुजुर्ग महिला को अपना कीमती हीरों का हार भेंट में दिया और कहा की मुझे जोखिम भरा काम करना पसंद है।तब उस बुज़ुर्ग महिला ने नेपोलियन बोनपार्ट को आशीर्वाद दिया की वो कामयाब होकर लौटे ।
बुज़ुर्ग महिला की बात को सुनकर सैनिक और ज़्यादा भयभीत हो गये और आगे चलने से इंकार करने लगे तब नेपोलियन बोनपार्ट ने कहा तुम में से किसी ने अल्पस पहाड़ी को देखा है ? तो सभी सैनिक का उत्तर नहीं था , तब बोनपार्ट ने कहा - ऐसा करते हैं हम धीरे धीरे आगे बड़ते हैं और जब अल्पस पहाड़ी आए तो बता देना हम आगे नहीं जाएँगे । यह सुनकर सभी सैनिकों ने सहमति जताई और वो सभी आगे बड़े । पर एक- एक कर वो पहाड़ी को पार करते चले गए और उनलोगों को पता भी नहीं चला की कब वो लोग अल्पस पहाड़ी को पार करके एक खुले मैदान में पहुँच गए , और जब नेपोलियन बोनपार्ट ने सैनिकों को बताया की वो अल्पस पहाड़ी को पार कर लिया है तो सभी सैनिकों में एक जोश की लहर दौड़ पड़ी और वो सभी मिलकर ये युद्ध भी जीत लिया ।
दोस्तों इस वीर की कहानी से हमें सिख मिलती है की कभी हार नहीं माननी नहीं चाइए चाहे मुश्किल कितनी भी बड़ी क्यूँ ना हो ।
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