ब्रायन ट्रेसी का जन्म 5 जनवरी 1944 एक कनाडाई-अमरीकन आत्म-विस्वास और प्रेरक सार्वजानिक वक्ता और लेखक है वह सत्तर से अधिक पुष्तकों के लेखक हैं ,जिनका दर्जनों भाषाओँ में अनुवाद किया गया है। उनकी लोकप्रिय पुस्तकें ,अर्न व्हाट यू आर रियली ,इट दैट फ्रॉग! और द साइकोलॉजी ऑफ़ अचीवमेंट है आइये इनके मोटिवेशनल विचारों को जानते हैं।-ब्रायन ट्रेसी के मोटिवेशनल कोट्स 1 जिंदगी में कॉम्बिनेशन लॉक जैसी जैसी होती है ,बस इसमें अंक ज्यादा होते हैं। अगर आप सही क्रम में सही नंबर घुमाएंगे तो ताला खुल जायेगा। ब्रायन ट्रेसी मैंने पाया है की भाग्य की भविष्यवाणी की जा सकती है। यदि आप अधिक भाग्य चाहते हैं ,तो ज्यादा जोखिम लें। ज्यादा सक्रीय बनें। ज्यादा बार नजर में आएं। ब्रायन ट्रेसी यहाँ नौकरी के क्षेत्र में सफलता पाने का तीन हिस्सों का सरल फार्मूला बताया जा रहा है : थोड़ी जल्दी आएं ,थोड़ी ज्यादा मेहनत से काम करें और थोड़ी ज्यादा देर तक ऑफिस में रुकें। इस फॉर्मूले का पालन करने पर आप अपने प्रर्तिस्पर्धाओं से आगे निकल जाएंगे की वे आपकी बराबरी नहीं कर पाएंगे। ब्रायन ट्रेसी सेल्सपर्सन ,उद्दमी य
यदि आप सफलता का जीवन जीना चाहते हैं
पूर्ण सफलता का जीवन
खुशी और पूर्ति का
तो आपको आपका कारण पता होना चाहिए
आपको अपना उद्देश्य ढूंढना होगा
महान बनना है तो महान कार्य करना पड़ेगा
ये तब तक नहीं हो सकता है जब की आप अपने काम से प्यार न करें
कैसे २१ साल की उम्र में बनाई 360 करोड़ की कंपनी।
यह कहानी है ऐसे लड़के जिसने 21 साल की उम्र में कड़ी कर दी।
21 साल की उम्र में बहुत सरे लोग या तो कॉलेज में होते हैं या नौकरी की तलाश में लगे रहते हैं
उनको यही लगता रहता है की आगे क्या होगा ,
लेकिन रितेश अग्रवाल ने यह साबित कर दिया की स्टार्टअप की कोई उम्र नहीं होती है
वो रोज सोलह घंटे काम करते थे ,उड़ीसा के रितेश अग्रवाल ने
इतने कम उम्र में ओयो (OYO ) रूम्स की सुरुवात कर
बड़े बड़े उम्र के ,बड़े बड़े एक्सपेरिएंस वालों को भी पीछे छोड़ दिया
जो की पहले से उस सेक्टर में कई सालों से थे।
रितेश की इक्षा आई आई टी में लेने का हुआ ,
जिसकी तयारी करने के लिए कोटा आये और जब कोटा में आये तो ,
वो पढ़ाई करते और जब भी वक़्त मिलता अपने दोस्तों के साथ खूब ट्रेवल करते।
यहीं उनका ट्रेवल में इंट्रेस्ट बढ़ने लगा ,
कोटा में ही उन्होंने एक बुक लिखी थी
इंडियन इंजीनियरिंग कॉलेज ( a कम्पलीट सिक्लोपेडिअ ऑफ़ टॉप 100 engeneering कॉलेजेस )
लोगों ने इस किताब की बहुत सराहना की।
16 साल उम्र में ही मुंबई स्तिथ टाटा ग्रुप ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च
यहाँ पे भी आये तो अपने दोस्तों के साथ घूमने निकल पड़ते थे
और हमेसा कोशिस करते थे सस्ते होटल में रुकें।
सस्ते रूम्स में रुकते थे
रितेश बचपन से ही बिज़नेस करना चाहते थे पर
कौन सा बिज़नेस करें यह तय नहीं कर पा रहे थे
और कोई आईडिया भी नहीं आ प् रहा था
लेकिन एक बार जब वो वो घूमने तभी उनके दिमाग में
एक बिज़नेस आईडिया आया और सोंचा की
जैसे हम सस्ते रूम्स ढूंढ़ते हैं वैसे ही कई सरे लोग ढूंढ़ते होंगे
और अपने सस्ते रूम्स के नॉलेज और एक्सपेरिएंस को का रूप देने की कोसिस की
और ऐसा नहीं की इन्हे चुनौती नहीं मिली
पहली बार 2011 इन्होने जो कंपनी बनाई उस कंपनी से उनको नुक्सान हुआ।
लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी
2013 में दुबारा ओयो रूम्स को लांच किया ,
इस बार उन्होंने अपने कमियों को दूर करते हुए
हिम्मत किया दुबारा
दिन रात की अथक प्रयास किया
और फिर वही हुआ जिनकी उन्हें तलाश थी
सफल हो गए वो
बहुत कम समय में ही आज देश के १० लाख से भी ज्यादा होटल जुड़ गए
उन्होंने २ एम्प्लोयी से कंपनी की शुरुआत की थी
आज उनके पास २५०० से ज्यादा एम्प्लोयी काम कर रहे हैं
ओयो रूम्स आज देश टॉप स्टर्टअप कंपनी में से एक है
आज देश में ही नहीं विदेशों में भी कंपनी सुरु कर दिया है
दोस्तों ये ऐसा कर पाएं क्योँकि इनको घूमना पसंद था ,वो जानते थे सस्ते रूम्स ढूंढ़ने में कितनी तकलीफ होती है एक प्रयटक को। कभी कभी उनको काफी सारे पैसे देने के वावजूद उनको जो जरुरी फैसिलिटी नहीं मिलती थी ,हम पैसे के पीछे भागते हैं लेकिन आप पैसे के पीछे मत भागो आप तो बस वो करो जिस से आपको प्यार है ,पैसा अपने आप आपके पीछे आएगा।
धन्यवाद दोस्तों।
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