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-ब्रायन ट्रेसी के मोटिवेशनल कोट्स

ब्रायन ट्रेसी का जन्म 5 जनवरी 1944 एक कनाडाई-अमरीकन आत्म-विस्वास और प्रेरक सार्वजानिक वक्ता और लेखक है वह सत्तर से अधिक पुष्तकों के लेखक हैं ,जिनका दर्जनों भाषाओँ में अनुवाद किया गया है। उनकी लोकप्रिय पुस्तकें ,अर्न व्हाट यू आर रियली ,इट दैट फ्रॉग! और द साइकोलॉजी ऑफ़ अचीवमेंट है आइये इनके मोटिवेशनल विचारों को जानते हैं।-ब्रायन ट्रेसी के  मोटिवेशनल कोट्स 1 जिंदगी में कॉम्बिनेशन लॉक जैसी जैसी होती है ,बस इसमें अंक ज्यादा होते हैं। अगर आप सही क्रम में सही नंबर घुमाएंगे तो ताला खुल जायेगा। ब्रायन ट्रेसी मैंने पाया है की भाग्य की भविष्यवाणी की जा सकती है। यदि आप अधिक भाग्य चाहते हैं ,तो ज्यादा जोखिम लें। ज्यादा सक्रीय बनें। ज्यादा बार नजर में आएं। ब्रायन ट्रेसी यहाँ नौकरी के क्षेत्र में सफलता पाने का तीन हिस्सों का सरल फार्मूला बताया जा रहा है : थोड़ी जल्दी आएं ,थोड़ी ज्यादा मेहनत से काम करें और थोड़ी ज्यादा देर तक ऑफिस में रुकें। इस फॉर्मूले का पालन करने पर आप अपने प्रर्तिस्पर्धाओं से आगे निकल जाएंगे की वे आपकी बराबरी नहीं कर पाएंगे। ब्रायन ट्रेसी सेल्सप...
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नजरिया - Attitude quotes in hindi

दोस्तों, यदि आपने अपना नजरिया बदला तो आप अपनी दुनिया बदल सकते हैं। नजरिया क्या कर सकता है इसे समझने के लिए एक उदारहण दे रहा हूँ -मान लीजिये कोई एक कौवा है लेकिन उसका नजरिया बाज वाला है हाँ मुझे पता है वो जीवन में बाज नहीं बन पायेगा , लेकिन आप एक बार  गहराई से सोंचे की क्या उसके जीवन में फर्क पड़ेगा उन कौवें के बिच में जिसके साथ वो रहता है। उसी तरह से अगर कोई बाज है और लेकिन उसका नजरिया कौवे का है तो क्या फर्क पड़ेगा या नहीं ? आप अपना सकरात्मक नजरिया रखिये -ये शानदार कोट्स नजरिया को समझने में आपकी मदद करेंगे। 1  लोगों में बस थोड़ा सा फर्क होता है ,लेकिन उस थोड़े से बड़ा फर्क पड़ता है। थोड़ा फर्क है-नजरिया। बड़ा फर्क यह है की यह सकरात्मक है या नकरात्मक।  - डब्ल्यू. क्लीमेंट स्टोन।  2  यदि आप दिन में सिर्फ 10 सेकंड सकरात्मक सोंचते हो। ...... और 16 घंटे नकरात्मक परिणामों के बारे में सोंचते हों ,तो ऐसी स्थति में आप सकरात्मक परिणामों की उम्मीद नहीं कर सकते ! थोडी सी सकरात्मक सोंच से सकरात्मक परिणाम नहीं मिल जाते। ठीक उसी तरह ,जैसे थोड़ी-सी...

अजीम प्रेम जी विप्रो संस्थपक एशिया के सबसे बड़े दानवीर

अजीम प्रेमजी विप्रो संस्थपक  एशिया के सबसे बड़े दानवीर  ने दान किए 52,750 करोड़ भारत सरकार ने जब कोरोना से युद्ध लड़ने के लिए मदद मांगी तो उन्हों ने दान किए 52,750 करोड़ रुपये, अब तक 145,000 करोड़ दान दे चुके हैं , अजीम प्रेमजी  जन्म 25 जुलाई 1945 में करांची में हुआ था। उनको १९६६ में कैलिफोर्निआ की स्टैण्डर्ड यूनिवर्सिटी  कम्प्यूटर की पढाई  छोड़कर भारत लौटना पड़ा। उनके पिताजी ने उन्हें 7 करोड़ की कंपनी विरासत में दी थी ,जो वनस्पति घी ,और कपडे धोने का साबुन बना रही थी।  21 साल की उम्र में प्रेमजी को बिलकुल अनुभव नहीं था ,वो खुद भी साक्षात्कार में  -मैं इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं था। मेरे पास एक ही स्वप्न था की मुझे एक बड़ी कंपनी बनानी है। उन्होंने अपने घी, तेल साबुन बनाने  व्यवसाय में वृद्धि की साथ ही एक बड़ी कम्पनी बनाने का सपने के साथ 1980 में आई टी क्षेत्र में प्रवेश किया। 1991 में उनको जब्बरदस्त मौका मिला। भारत सर्कार ने अमेरिका की आई बी ऍम कम्पनी भारत में व्यापार करने पर प्रतिबन्ध रख दिया। एक बिज़नेस मैन नाते अजीमप्रेम जी यह मौका हाथ ...

निन्याबे का चक्कर

निन्याबे का चक्कर एक सेठ हवेली थी। बगल में एक गरब का छोटा सा घर थे। दोनों घर की औरतें जब आपस में  मिलती थीं तब एक दूसरे से पूछती थी की आज तुमने क्या रसोई में बनाया ? सेठ की स्त्री कहती की आज तो पापड़ की सब्जी बनाई है अथवा दाल बनायी है। गरीब घर की स्त्री कहती की आज हलवा-पूड़ी बनाया है अथवा खीर बनायी है ! सेठ की स्त्री अपनी अपने पति से कहती थी हमलोग इतने पैसेवाले और हम इतना साधारण भोजन करते हैं और वो लोग इतने गरीब इतना सुंदर-सुन्दर पकवान कहते हैं ,कैसे ? सेठ ने कहा की वो लोग अभी निन्याबे के चक्कर में नहीं पड़े हैं ,जब उनको निन्याबे का चक्कर लग जायेगा तब ऐसा नहीं होगा स्त्री ने पूछा की ये निन्याबे का चक्कर क्या होता है ? सेठ ने कहा तुम देखती  जाओ ! दूसरे सेठ ने अपने स्त्री से कहा निन्यानबे रुपए लाओ। सेठ की स्त्री निन्यानबे रुपये लेकर आई ,सेठ ने उस  निन्यानबे रुपये को एककपडे की  पोटली में बाँध दी और अपने स्त्री से कहा की रात में मौका देखकर यह पोटली उस गरीब के घर में फ़ेंक देना रात होने पर सेठ की स्त्री ने वैसा ही किया।  सुबह होने पर गरीब आद...

चिंता छोड़ो सुख से जियो

चिंता छोड़ो सुख से जियो - एक ऐसी किताब जो मुझे लगता है की हर घर में होना ही चाहिए।  आप देख रहे हैं की अभी कोरोना वायरस एक महामारी के रूप में पुरे संसार में फैला हुआ है , अभी भारत में भी 21 दिनों का लॉकडाउन हो रखा है ,वैसे में घर पे खाली बैठे हैं ,मन में तरह-तरह के विचार आने लगते हैं। भविष्य को लेकर वायरस को लेकर ,अपने परिवार  में चिंता होना सुरु हो जाता है। वैसे में यह किताब आपके लिए मार्गदर्शिका का काम करेगी , में हर चिंता पर विजय  प्राप्त कर सकते हैं इसके  बहुत ही अच्छे तरीके से बताया गया है ,जैसे - चिंता के बारे में मूलभूत तथ्य ,जो आपको पता होने चाहिए।  वर्तमान में एक-एक दिन जियें -हमारा काम यह देखना नहीं की दूर धुधंलके में क्या दीखता है , करना है  सामने है। बाइबल के शब्द -आने वाले कल की चिंता मत करो।  वही खुस है और केवल वही खुस है , जो आज को अपना कह सकता है , जो आत्मविश्वास से कह सकता है ; कल तुम्हें जो करना है कर लेना ,मैंने आज जी लिया है।  चिंताजनक स्थतियों को सुलझाने का जादुई फार्मूला के बारे में बताया गया है - ...

नकरात्मकता से बाहर निकलने का जादुई तरीका

नकरात्मकता से बाहर निकलने का जादुई तरीका -कृतज्ञ सभी परिस्थितिओं में कृतज्ञ होता है। - बहाउल्ला ( 1817 - 1892 ) चाहे सम्बन्धोंए में उलझन हो , आर्थिक दबाव हो, स्वास्थ्य की गड़बड़ी हो या नौकरी की समस्या लम्बे समय तक कृतग्यता की कमी के कारण नकरात्मक परिस्थितयां उत्पन्न हो जाती है। चीजों को नजरअंदाज करना नकरात्मकता का एक प्रमुख कारण है,क्यूंकि जब हम चीजों को नजरअंदाज करते हैं तो हम  धन्यवाद नहीं दे रहे हैं और इसके फलस्वरूप अपने जीवन में आप जादू सक्रीय होने से रोक रहे हैं। नकरात्मकता से बाहर निकलने का जादुई तरीका , आप जब भी किसी नकरात्मक स्थिति में हो तो आप क्या कह सकते हैं ,इसके उदाहरहण दिए जा रहे हैं : मैं बहुत कृतज्ञ हूँ की इस दौरान मेरे पास अपने परिबार के लिए अधिक समय है।  मैं कृतज्ञ हूँ की खाली समय होने के कारण अब मेरा जीवन बेहतर जीवन बेहतर व्यवस्थित हो गया है - जब आपको यह लगे की आपका जीवन अव्यवस्थित हो रहा है।  मैं कृतज्ञ हूँ की मेरे पास जीवन में अधिकतर समय नौकरी रही है और मैं अनुभवी हूँ - जब आपको नौकरी में कोई दिक्कत लग रही हो तो।  मैं कृतज्ञ ह...

बाज का अंडा

एक घने जंगल में एक बार एक बाज का अंडा किसी तरह जंगली मुर्गी के अण्डों के बिच चला गया और बाकि बाकि अण्डों के साथ मिला गया ,चूँकि अंडे तो सभी सामान होते हैं क्या मुर्गी और क्या बाज। जैसे मुर्गी अपने अन्य अंडे का सेवा कर रही थी वैसे ही उसने बाज के अंडे का भी सेवा किया और कुछ दिनों के बाद समय आने पर अंडा फूटा। सभी अण्डों से चूजे निकले और बाज के अंडे से भी चूजा निकला। बाज का बच्चा यह अंडे से निकलने के बाद यह सोंचता हुआ बड़ा हुआ की वह एक मुर्गी है। बाज एक बच्चा भी वही काम करते जो अन्य मुर्गी के बाचे करते थे। जैसे अन्य बच्चे जमीन खोदकर अनाज के दाने चुगता और मुर्गी के बच्चे की तरह चूं-चूं करता था। जब बच्चे खेल-खेल में कुछ फिट तक उड़ते थे और बाज का बच्चा भी वही कोसिस करता था और वह भी कुछ फिट तक उड़ता था। एक बार की बात है जब बाज उन मुर्गी के बच्चे और मुर्गी के साथ जंगल में अपने दिनचर्या में लगे थे तभी सभी ने आकाश में एक बाज को उड़ते हुए देखा और उन्होंने देखा की बाज आकाश में कुलांचे भर भर रहा था ,मंडरा रह था। बाज के बाचे ने पूछा माँ इस सुब्दर सी चिडयां का क्या नाम है ? मुर्गी ने कहा - उस ...

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नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी

आज 21 वी सदी का सबसे क्रन्तिकारी तरीका है नेटवर्क मार्केटिंग है। लेकिन लोगों के मन में बहुत से सवाल होते हैं इन कंपनियों को लेकर। लेकिन मैं आपको बता देना चाहता हूँ की सच में नेटवर्क मार्केटिंग एक बहुत ही शानदार और बिज़नेस की तरह ही है जिसे आप बहुत कम इन्वेस्टमेंट के साथ शुरुआत कर सकते हैं। इस बिज़नेस की खास बात यह है की आपको जो भी चैलेंज आने वाला है पहले ही पता चल जाता है और परिणाम भी। नेटवर्क मार्केटिंग कम्पनी आज के समय की जरुरत है क्यूंकि आपको पता है जॉब की मारामारी और यदि आपका कैसे करके लग भी जाये तो बॉस जीना हराम कर देता है। तो यदि आपको समय की आजादी और पैसे की आजादी चाहिए तो आपको अपना नेटवर्क बनाना पड़ेगा। और नेटवर्क बनाने के लिए आपको सीखना पड़ेगा। चेतावनी -एक महत्वपूर्ण बात इसमें भी और बिज़नेस की तरह ट्रेनिंग की जरुरत होती है और उसके बाद भी अन्य व्यवसाय के तरह ही कोई गरंटी नहीं होती है की आप सफल हो ही जाएँ। स्कोप इन इंडिया -अगर मैं भारत में बात करें तो बहुत कम लोग नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी में जुड़े है अगर एक सर्वे के अनुसार और एक किताब में छपे लेख के अनुसार भार...

4 BASIC STEPS

हे भगवान्  मैं नेटवर्कर नहीं बनना नहीं चाहता था। लेकिन थैंक्स गॉड मैं नेटवर्कर बन गया क्यूंकि मैं आज मेरे पास सकरात्मक विचार है ,मानशिक शांति है ,स्वास्थ्य है ,सम्मान है ,पहचान है और पैसा भी। मैंने  जितने भी नेटवर्कर को देखा है सभी सफल नेटवर्कर धन-संपत्ति को सबसे अंत में रखते हैं अपने सभी उपलब्धियों में , क्यों रखते थे मुझे शुरुआत में पता नहीं चलता था क्यूंकि मुझे तो लगता था पैसा ही सबसे मत्वपूर्ण होता है पर आज मैं जिस मुकाम पे हूँ मुझे लगता है अगर आपके पास सेल्स के बारे आपके पास उचित ज्ञान हो तो आपके लिए भी यहाँ सफलता पाना बहुत आसान हो जायेगा और आप हमारी बात से सहमत हो जायेंगे।  अगर गाना एक कला है ,नाचना एक कला है ,अभिनय एक कला है उसी तरह बेचना भी एक कला है और सभी अन्य कलाओं की तरह भी।  अगर आपने गाना सीखा नहीं क्या आप गा सकते हैं ? आपने नाचना सीखा नहीं क्या आप नाच सकते हैं तो बिना सीखे आप बेच कैसे सकते हैं ,आपको कुछ भी बेचने के लिए सीखना पड़ेगा।  अब वैसे भी नेटवर्किंग सेक्टर में सफलता पाना पहले की उपेक्षा बहुत आसान हो गया है क्यूंकि आज के समय...

मुनिश्री तरुणसागर जी के कड़वे प्रवचन

एक सेठ बीमार बीमार था। दवा खाने के बाद भी ठीक नहीं हो रहा था। आखिर वह हकीम लुकमान से मिला। लुकमान ने कुछ गोलिया दी और कहा -इन्हें तीन बार अपने माथे के पसीने में पिघलकर खा लेना। सेठ कुछ ही दिनों में ठीक हो गया। शिष्य ने कहा- गुरुदेव ! बड़ी चमत्कारी दवा है। लुकमान हँसा और बोला - दवा क्या उपलों की राख थी। पर उसे तीन बार माथे पर पसीने लेन के लिए बड़ी मेहनत  करनी पड़ी होगी। यह चमत्कार उसी पसीने का है। सच्ची नींद और स्वाद चाइये तो पसीना बहाना मत भूलना। जिंदगी में तीन चीजों का अर्जन जरूर करें। बचपन में ज्ञान का , जवानी में संपत्ति का और बुढ़ापे में पुण्य का। बचपन अध्यन के  बुढ़ापा आत्म-चिंतन के लिए है। किसी छात्र ने पूछा कितने घंटे पढ़ना चाहिए ? जिस क्लास  में हैं ,स्कूल के अलावा उतने ही घंटे ,10 वी में हों तो 10 घंटे और 12 वी  12 घंटे। अगर आप तरुणसागर का कहा मानें तो मैं आपसे एक निवेदन करना चाहूंगा की अपने मित्र,चरित्र को हमेसा रखें पवित्र क्यूंकि यही है जिंदगी का असली इत्र। आपको पता है की चरित्र के पतन में प्रायः गलत मित्रों और गलत चित्रों का हाथ होता है। गलत म...